शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

ममता एक माँ की ...

                                                                                                                                                                                                               क्या ममता ने इसलिए दूसरी शादी की थी ?
कि जिन लोगो के लिए उसने अपना सारा जीवन लगा दिया वो ही लोग उसे इस तरह ठेस पहुँचायेगे ,और वो भी तब जब घर मे इतना अहम् और ख़ुशी का माहोल हो, और बहुत सारे लोग मौजूद हो| और कोई नहीं उसका पति एसी दिल तोड़ने वाली बात करेगा ऐसा होगा कभी नहीं सोचा था |लोग ये तो जानते है की स्त्री सहनशील होती है ,पर ये शायद नहीं जानते कि सहन करने की भी एक सीमा तो होती ही है | स्त्री कोई भी हो छोटी -मोटी बात की तो परवाह नहीं करती पर बात अगर उसके स्वाभिमान की होती है तो चुप नहीं रहती और स्वाभिमान की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकती है |
                      मेरी कहानी की नायिका ममता एक ऐसे पिता की बेटी है जो मजदूरी करके अपनी बेटी को को शिक्षा दिलवा रहा है | और उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करने की पुरजोर कोशिश करता था | पिता को मजदूरी करते इस बात का एहसास हो गया कि बिना शिक्षा इंसान को जीवन मे बहुत सारी कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है | और अभाव मे जीना रोज एक मौत मरना जैसे है |उस वक्त ममता का आखिरी साल था फीस भरने की तारीख नजदीक आ रही थी पैसो का इंतजाम नहीं हो रहा तो ममता के पिता रामसिंह ने तब अपने  खेत को गिरवी रखा और ममता के कोलेज की फीस भरी | उस वक्त लाखो के खेत को हजारो मे गिरवी रखना पड़ा था | समय बीतता गया चार साल बाद ममता की पढाई पूरी हुई अब ममता बी .ऐ.बी.एड थी |
                        ममता ने अभी नौकरी करने का सोचा ही था की मम्मी -पापा ने अपना फैसला सुना दिया कि अब हम तुम्हारी शादी करना चाहते है और लड़का भी देख लिया है तुम भी चाहो तो देख सकती हो | लड़के के माता -पिता दोनों नौकरी करते थे और लड़का तुषार जिसने अभी -अभी इंजीनियरिग की पढाई पूरी की और एक बड़ी कम्पनी मे नौकरी लग गया था | बहुत ही नेक और संपन परिवार था | ममता ने कहा ''माता पिता अपने बच्चो के लिए अच्छा ही करते है मुझे मंजूर है जो लड़का आपने मेरे लिए देखा अच्छा ही होगा | और ममता की शादी तुषार संग हो गयी |
                     ममता का ससुराल मे सास ने बहुत स्वागत किया और सर आँखों पर बिठाया शादी के चार दिन बाद जब ममता सास के लिए चाय लेकर गयी तो सास ने ढेरो आशीष के साथ एक लिफाफा ममता के हाथ पर रखा और कहा ''ये तुम दोनों के लिए सिंगापुर जाने की टिकिट है कल निकलना है जाओ तैयारी करो | ममता को बहुत ख़ुशी हो रही थी कि सास उसे कितना प्यार करती है किते अच्छे से संभालती है सास का शुक्रिया कर के ममता जाने की तयारी मे लग गयी थी | ममता ने अपने व्यवहार से सबका दिल जित लिया समय तो चलता रही रहता है |
दो साल बाद
ममता ने घर मे बच्चे के आने की खबर सुनाई सब बहुत खुश हए पर सास लीला तो बहुत ही खुश हुई क्योंकि वो तो कब से ही इस बड़ी ख़ुशी का इंतजार कर रही थी | उसने ममता को गले लगा कर माँ बनने की और बेटे नितिन को बाप बनने की बधाई दी अब तो सास लीला ममता का खूब ख्याल रखने लगी ममता को पंलग से नीचे पैर ही नहीं रखने देती थी | लीला बेसब्री से बच्चे का इंतजार करने लगी थी | सब अच्छे से चल रहा था कि एक दिन तुषार ने माँ को कहा कि'' कल मुझे ऑफिस टूर से दिल्ली जाना है सोच रहा हूँ ममता को ले जाऊ काम ख़त्म करके थोडा हम दोनों घूम लेंगे,ममता की सास ने कहा जाओ पर समय पर खाना,नाश्ता और सोने का ध्यान रखना ,ज्यादा चलना मत बहुत सारी हिदायतों के साथ जाने की इज़ाज़त दे दी |
                      अभी कुछ रास्ता ही तय किया था कि तुषार की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसमे तुषार की मौत हो गयी और ममता घायल हुई | डॉ. को ममता का अर्जेंट ओपरेशन करना पड़ा क्योंकि ममता के गर्भाशय मे चोट लगने के कारण संक्रमण हो गया था | और गर्भाशय को तुरंत निकालना पड़ा | अब इसे समय का फेर ही कहेंगे की कितनी खुश थी ममता और अब पलक झपकते  ही उसका सुखी संसार उजड़ गया था | लीला बहुत दुखी हुई उस पर तो जैसे दुखो का पहाड़ ही टूट पड़ा, पर फिर भी उसने अपने आपको संभाला और ममता की देख भाल करने लगी | होश आने पर ममता ने अपने आपको अस्पताल मे पाया तो कुछ ही देर बाद उसको समझ आ गया कि उसका सब कुछ लुट गया वो रोने लगी सास ने ममता को सम्भाला |
                           अहिस्ता -अहिस्ता समय का मरहम हर घाव को भरता है जीने के लिए इंसान को अपने मन को कुछ तो तसल्ली देनी ही पड़ती है अब ममता वापस अपने पिता के घर आ गयी और शिक्षिका की नौकरी कर ली |
तीन साल बाद
अब ममता ने स्कूल मे बच्चो के साथ अपना मन लगा लिया था| और बच्चे भी अपनी ममता मैडम से बहुत प्यार करने लगे थे | स्कूल मे ममता के बिना बच्चो का मन ही नहीं लगता था | स्कूल के प्रिंसिपल भी खुश थे कि बच्चे पढाई मे रूचि ले रहे है सब अच्छे से चल रहा था कि एक दिन पडौस मे रहने वाले रामकिशन की पत्नी का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया | अब चार बच्चो को सम्भालना रामकिशन जी के बस की बात नहीं थी | उन्होंने दूसरी शादी करने का फैसला किया |कितनी ही जगह रिश्ते की बात की पर उनकी शर्त के कारण कोई भी औरत ने हां नहीं की शर्त ये थी कि रामकिशन जी दुसरी शादी से बच्चा नहीं पैदा करेंगे |
                 ममता के तो अब ग्रभाशय ही नहीं था तो बच्चा होने वाला ही नहीं था ये बात ममता के पिता को पता चली तो उन्होंने ये बात घर मे सब के सामने रखी तो सब ने कहा ममता  रामकिशन से बहुत छोटी है और वो चार बच्चो का पिता था | ममता का मन भी अब दूसरी शादी करने का बिल्कुल भी नहीं था |वो सोचने लगी कि ये दूसरी शादी किसलिए ? पिता के घर मे बेटी का रहना आज भी बोझ समझा जाता है,या इसलिए कि रामकिशन जी के चार बच्चो को सम्भाल सकू |और बिना पैदा किये सीधा चार बच्चो की माँ बनू तो क्या बुरा है कुछ तय नहीं कर सकी थी | अगर ममता अपने पिता के घर मे रहकर जीवन काटे तो इसमें क्या बुराई थी |अब तो वो उसने स्कूल मे नौकरी भी कर ली थी |पर उसके माता -पिता का ये सोचना था कि बेटी का अपना एक ठिकाना होना चाहिये| ये कैसी सोच थी समाज वालो की उसे समझ नहीं आ रहा था, कि क्यों एक विधवा अकेले अपना जीवन नहीं बिता सकती ? और फिर ठिकाने के लिए क्या ये चार बच्चो का बाप ही मिला था | रामकिशन फिर ममता के हां- ना की परवाह किसे थी | सिर्फ हाँ बोलना था |और शादी हो गयी |
                           अब तीस साल की ममता चार बच्चो की माँ बन गयी | जीवन का रुख ही बदल गया |जो किस्मत मे था हुआ उसने भी चुप -चाप स्वीकार किया और लगी नई गृहस्थी सम्भालने शादी होने के बाद कभी उसके माता -पिता ने ये नहीं पूछा की पति और बच्चो के साथ उसका रिश्ता कैसा है |बस वो तो खुश थे कि उनकी बेटी के ठिकाना हो गया है |दिन, महीने , साल बित्तते गये पर चार बच्चो को संभालना वो भी सौतेले बड़ा कठिन काम था | सौतेली माँ के प्रति बच्चो के मन मे ये बात भर दी जाती है ,कि वो सौतेले बच्चो को प्यार नहीं कर सकती बल्कि मारती है|पर लोग ये नहीं समझते कि माँ तो माँ होती है चाहे वो सौतेली हो या खुद, की माँ के दिल मे बच्चो के लिए केवल और केवल प्यार रहता है| वात्सल्य और ममत्व का भाव रहता है माँ ही उनको आगे बढ़ने मे उनके लिए दिशा निर्धारित करने मे उनकी मदद करती है |
                     यहाँ रामकिशन के बच्चो के दिल मे भी सौतेली माँ के खिलाफ जहर भर दिया गया था| बच्चे ममता के पास भी नहीं फटकते थे| पर ममता ने धीरे -धीरे उन्हें प्यार से उनकी सोच बदल दी अब वो अपनी ममता माँ की हर बात मानने लगे अपनी माँ को अब याद नहीं करते और ममता माँ के पास ही रहते थे समय बीतता रहा अब बच्चे बड़े हो गये पढ़ -लिख लिए | बड़े बेटे नितिन की तो नौकरी भी लग गयी |नितिन की शादी का मौका था |बेटे की शादी के लिए ममता ने बहुत सारी तैयारी की पर उसने जो चाहा वो तो नहीं हुआ रामकिशन ने शादी के मांगलिक काम अपने छोटे भाई -भाभी को करने को कहा क्योंकि उनकी नजरो मे वो अब भी विधवा थी |इतने साल उनके साथ उनकी पत्नी बने रहने के बाद भी ममता के उपर से विधवा का ठप्पा नहीं हटा ये उनकी ओछी सोच थी |तो क्या रामकिशन उसे अपने बच्चो की आया समझता था ये उसकी समझ से परे था?|
                          ममता कुछ नहीं बोली चुप -चाप सहन कर लिया शादी हुई बहु भी समझदार थी और सास भी समझदार तो दोनों मे खूब पटने लगी | माँ बेटी का रिश्ता हो गया दोनों मे |बहु ने सास को आते ही कह दिया कि अब आप आराम करो बाकि सब मे सम्भालती हूँ |आप तो मुझे आदेश करो अब आप और पापा अपने लिए जिओ | बहु का प्रेम देख ममता रोने लगी | दो साल बाद ममता की बहु ने बच्चा आने की खबर सुनाई सब खुश थे | सातवा माह था बहु की गोद भराई की रश्म थी आज जैसे ही ममता ने सगुन लेकर बहु के पास जाने को कदम बढाया तभी बहु के मायके वालो मे से किसी ने कहा की आपकी कभी गोद भरी नहीं तो आप रहने दो ममता ये सहन ना कर सकी और कमरे मे जाकर रोने लगी रामकिशन ये सब देख सुन रहे थे पर शादी के वक्त भी कहाँ साथ दिया जो अब देंगे | पर ममता की बहु ने भी कह दिया कि ''मेरी गोद अगर मेरी सास नहीं भर सकती तो मुझे ये सब करना ही नहीं है, मै ऐसे ही ठीक हूँ | नितिन ने भी कहा कि कौन कहता है ममता माँ माँ नहीं है वो तो चार बच्चो की माँ है ये ना होती तो हम आज किसी बुरी सगत मे पड गये होते | ममता माँ ये सब सुन कर खुश हुई| चलो अब गोद भराई शुरू करो हम और हमारे बच्चे को आपके आशीर्वाद की जरुरत है और ममता ने सोचा कि कैसे कहू इनको सौतेले ये बच्चे तो खुद के बच्चो से भी ज्यादा प्यार करते है मुझे और ममता ने अपने पति की और देखा जैसे कह रही हो कि आप से तो आपके बच्चे अच्छे है कितना सम्मान किया है |
                     शांति पुरोहित
                                  

4 टिप्‍पणियां:

Guzarish ने कहा…

नमस्कार !
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [28.10.2013]
चर्चामंच 1412 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया

HAKEEM YUNUS KHAN ने कहा…

baap se bachche achhe.
sahi.

aapki post ने सबका दिल जित लिया.

Unknown ने कहा…

बहुत शुक्रिया आप दोनों का

nayee dunia ने कहा…

bahut badhiya kahani ji ...man ko chhu liya