शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025

कल्पना पुरुष मन की




अधिकार 

सार्वभौमिक सत्ता 
सर्वत्र प्रभुत्व 
सदा विजय 
सबके द्वारा अनुमोदन 
मेरी अधीनता 
सब हो मात्र मेरा 

कर्तव्य 

गुलामी 
दायित्व ही दायित्व 
झुका शीश 
हो मात्र तुम्हारा 
मेरे हर अधीन का 

बस यही कल्पना 

हर पुरुष मन की .

शालिनी कौशिक 

   

मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

महान पुरुष सोच

    


   आज यति नरसिंहानंद विवादों में हैं. ऐतिहासिक और आध्यात्मिक चरित्रों के बारे में अनाप शनाप बयानों को लेकर. साथ ही, उनकी सोच बता रही है भारतीय पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री की दयनीय दशा के बारे में. नरसिंहानंद कहते हैं कि - आज मैं केवल एक व्यक्ति के प्रति संवेदना जताता हूं। मेघनाथ को हम हर साल जलाते हैं। मेघनाथ जैसा चरित्रवान व्यक्ति इस धरती पर दूसरा कोई पैदा नहीं हुआ। हम हर साल कुंभकरण को जलाते हैं। ​​​कुंभकरण जैसा वैचारिक योद्धा इस धरती पर पैदा नहीं हुआ। उनकी गलती ये थी कि रावण ने एक छोटा सा अपराध किया।

    अब यदि हम छोटे से अपराध की भारतीय कानून के मुताबिक परिभाषा पर जाते हैं तो पहले भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 95 और अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 33 में जिन अपराधों को छोटे अपराधों की श्रेणी में रखा गया है उनके लिए कहा गया है कि - "कोई बात इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की जानी आशयित है या कारित होने की सम्भाव्यता ज्ञात है, यदि वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत नहीं करेगा."

      ऐसे में, साफतौर पर यति नरसिंहानंद रावण द्वारा माता सीता के हरण को एक छोटा सा अपराध कह रहे हैं. नरसिंहानंद जैसे पुरुषों के लिए जो एक " छोटा सा अपराध " है, वह एक स्त्री, पतिव्रता नारी की मिसाल माता सीता की जिंदगी बर्बाद कर देता है, एक देवी की पवित्रता पर अयोध्या की प्रजा में उठी छोटी सी ध्वनि - "कि माता सीता रावण के घर रहकर आई है," उनके जीवन से सौभाग्य को, पति के साथ रहने के सुख को उनकी गर्भावस्था में ही दूर कर देती है. महर्षि वाल्मीकि द्वारा संरक्षण में रहने पर भी माता सीता से अयोध्या की प्रजा पुनः अग्नि परीक्षा की इच्छा रखती है, लव कुश श्री राम के पुत्र होने के बावजूद पिता श्री राम के राज्य को प्राप्त नहीं कर पाते और ये सब जिस रावण के दुष्कृत्य के कारण होता है उसे यति नरसिंहानंद छोटा सा अपराध कहते हैं.

    ये है नारी के प्रति भारतीय आधुनिक संत समाज की सोच, जिसके अनुसार नारी पर हो रहे अपराध छोटे अपराध हैं और भारतीय कानून के अनुसार छोटे अपराध वे हैं जिनकी कोई शिकायत नहीं करनी चाहिए और अंततः नारी को इस सोच को देखते हुए चुप ही रहना चाहिए. 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

पुरुषों की सनातन सोच

 


हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध उक्ति है "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" जिसे हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बहुत ही जोर शोर से उच्चारित किया जाता है. आजकल प्रयाग राज उत्तर प्रदेश में महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है, जहां चहुँ ओर हिन्दू धर्म का डंका बज रहा है. साधू संतों के प्रवास के दौरान सारी प्रयाग राज की धरती पवित्र हो रही है. हिन्दू धर्म का झंडा बुलन्द करने वाली भाजपा नीत केंद्र और राज्य की सरकार ने श्रद्धालुओं के प्रयाग राज में पहुंचने की उत्तम व्यवस्था की है मीडिया द्वारा हिंदू धर्म - सनातन धर्म के इस पर्व को लेकर खासा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जिससे युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में उल्लास पूर्ण वातावरण है जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु ज़न वहां पहुंच रहे हैं. इसी उल्लास को लेकर आने वाली दो खबरों ने हिन्दू धर्म संस्कृति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक मध्य प्रदेश के महेश्वर से माला बेचने आई मोनालिसा के साथ युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक का असभ्य, अशोभनीय  व्यवहार और एक साध्वी बनने जा रही मॉडल हर्षा रिछारिया की सुन्दरता के पीछे पागलपन की हदें पार करती हिन्दू जनता. सवाल खड़े करती हैं हिन्दू धर्म के इस महाआयोजन पर, जिसमें श्रद्धा, आस्था, भक्ति सर्वोच्च होनी चाहिए, वहां वासना आगे दिखाई दे रही है. वहां पहुंची हिन्दू धर्मावलंबियों की भीड़ को ये सुन्दर, परी, अप्सरा नजर आ रही हैं, क्यूँ आखिर क्यूँ? धर्म के इस श्रेष्ठ पर्व में भी इनके मन में उनकी सुन्दरता ही क्यूँ उतर रही है क्यूँ इनके मन में इन्हें लेकर धार्मिक भावनाएँ नहीं उभर रही हैं? क्यूँ हिन्दू धर्म की श्रेष्ठ मान्यताएं इनके मन में मोनालिसा को इनकी बेटी, बहन और हर्षा रिछारिया को एक देवी के रूप में स्थान नहीं दिला पा रहा है? कहाँ कमी रह गई है भाजपा की नीतियों में जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चला कर भी धर्म के इस महाकुंभ तक में बेटियों को सुरक्षित वातावरण नहीं दे पा रही है कि आखिर मोनालिसा के पिता को बेटी को दबंगों द्वारा उठा लिए जाने की धमकी के डर से घर वापस भेजना पड़ गया है और मॉडल से साध्वी बनी हर्षा रिछारिया को रोते रोते महाकुंभ छोड़ना पड़ गया है.

शालिनी कौशिक एडवोकेट
कैराना (शामली)

रविवार, 29 दिसंबर 2019

केस बनती जाती औरतें

केस बनती जाती औरतें
अपनी संस्कृति और परम्पराओं पर
नाज़ करने वाले
तथाकथित .. एक सभ्य समाज में
सरे आम .... बस एक केस बनकर
फाइलों में दब जाती हैं औरतें
हाँ , केस बन जाती हैं
जीती जागती औरतें |
फिर शुरू हो जाती है एक लम्बी प्रक्रिया
या कहें .. प्रतीक्षा
न्याय की ,
 इस न्याय को पाने के लिए
जाने कितने अन्याय झेलती हैं औरतें
हाँ, न्याय की अँधी मूरत के सामने
खुद विवशता की मूरत बन जाती हैं औरतें |
दोहराई जाती है फिर–फिर
अमानवीयता ही नहीं पैचाशिकता की
दुसह्य गाथा
और थरथरा जाती हैं फिर-फिर
मात्र रूह बनकर रह गई औरतें|
कुछ पोस्टरों
कुछ नारों
कुछ कैंडल मार्च के बीच
आज़ाद घूमते या
जेल में मटन करी खाते दरिंदों के
भरे पेट और भूखी आँखों से
टपकती लार देख
फिर सुलग उठते हैं उनके
जले , क्षत-विक्षत तन
फिर एक और मौत मर जाती हैं
वो मर चुकी या
अधमरी औरतें |
हाँ, लोगों के लिए तो बस एक केस बन जाती हैं औरतें |
और्रतों का चल-चलन का पाठ पढ़ाते
पहनने-ओढ़ने का सलीका सिखाते
उनके हँसने-बोलने पर बदचलनी का सर्टिफिकेट दिखाते
समाज की पट्टी बँधी आँखों को
दुधमुँही बच्चियों के
नुचे हुए नर्म जिस्म दिखा
लड़कों की परवरिश पर
सवाल उठाती हैं
समाज को उसकी वहशत का आइना दिखाती हैं
खुद वहशत का शिकार बनीं औरतें|
केस-दर-केस  ..... केस-दर-केस
अनसुलझी गुत्थियों में उलझीं
समाज के सियाह पैरहन पर
आदमी की दरिंदगी का मैडल बन
लटक जाती हैं औरतें ......
पता है .... कल सब कुछ भूल
फिर काम पर लग जाएँगे,
खुले आम घूमते दरिन्दों के
फिर हौंसले बढ़ जाएँगे,
फिर किसी औरत की शाहिदगी का
इंतज़ार करेगा समाज
यूँ केस बनती औरतें के किस्से बढ़ते जाएँगे
कब तक ?
आखिर कब तक एक औरत को हम
केस बना कर
फाइलों की कब्र में दफनाएँगे ..
और  सभ्य कहलाये जाएँगे ??



मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

पति बेचारा.................. नहीं

ये तो सभी जानते हैं कि यदि पति या पिता अपनी पत्नी या सन्तान का भरण पोषण नहीं करते तो वे गुजारा भत्ता मांग सकते हैं किन्तु ये कुछ ही लोग जानते होंगे कि पति भी गुजारा भत्ता मांग सकता है और हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 25 ऐसी ही व्यवस्था करती है. 
 बरेली का एक मामला ऐसी ही जानकारी हमें दे रहा है. बेरोजगार पति ने सरकारी सेवारत अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में अर्जी दी है। इस अर्जी में उसने कहा है कि वह खुद भी पढ़ा लिखा बेरोजगार है, फिर भी उसने अपनी पत्नी की सरकारी नौकरी लगवाने के लिए पांच लाख रुपये खर्च किए थे। मगर नौकरी लगने के बाद जब अच्छी-खासी तन्ख्वाह उसकी पत्नी के हाथ आने लगी तो उसके तेवर बदल गए। कुछ ही समय बाद सारा जेवर लेकर उसने उसका घर छोड़ दिया। उसने अदालत से फरियाद की है कि उसकी बेरोजगारी का ख्याल रखते हुए उसे उसकी पत्नी से गुजारा भत्ता दिलाया जाए।
     बिशारतगंज के गांव बलेई भगवंतपुर में रहने वाले 25 वर्षीय योगेश कुमार ने अपने वकील के जरिये सोमवार को अदालत में अर्जी दाखिल की। इसमें योगेश ने कहा है कि उसकी शादी तीन जून, 2015 को से हुई थी। शादी के बाद उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी तुनकमिजाज है। कुछ दिन बाद ही वह छोटी-छोटी बातों पर नाराज होकर अपने मायके जाने लगी। हालांकि फिर भी वह उसके साथ निबाह करते रहे। इसी दौरान उनके ससुर यशवीर सिंह ने उससे कहा कि अगर वह पांच लाख रुपये खर्च करें तो वह उनकी पत्नी की सरकारी नौकरी लगवा सकते हैं। उन्होंने रिश्तेदारों से उधार लेकर यह रकम ससुर को दे दी। 31 मई 2016 को उनकी पत्नी को वन विभाग में नौकरी मिल गई और अब वह डीएफओ बरेली के कार्यालय में तैनात है।
योगेश का कहना है कि सरकारी नौकरी लगते ही उनकी पत्नी का उसके साथ रहा-सहा लगाव भी खत्म हो गया। एक दिन उनकी गैरमौजूदगी में उसने उनके घर आकर तीन लाख के जेवर और पांच हजार का कैश निकाला और वापस चली गई। काफी समझाने के बाद भी फिर उनके घर नहीं लौटी। वह कई बार उसे बुलाने गया लेकिन उसने उनके साथ रहने से इनकार कर दिया। उन्होंने अदालत में मुकदमा भी दायर किया मगर फिर भी वह उनके साथ रहने को तैयार नहीं हुई। योगेश ने कहा कि उनकी पत्नी सरकारी नौकर है। उसे 28 हजार रुपये वेतन मिल रहा है जबकि वह बेरोजगार हैं। आय का कोई जरिया भी नहीं है लिहाजा उनकी पत्नी पर उनका 14 हजार रुपये महीने के गुजारा भत्ते का दावा बनता है जो वह आसानी से उन्हें दे सकती है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है।
पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के मुताबिक कोई भी पक्षकार, वह चाहे पति हो या पत्नी, एक-दूसरे से गुजारा भत्ता की मांग कर सकते हैं। अदालत इस मामले में अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग करके ऐसा आदेश भी कर सकती है। इस मामले में आर्थिक स्थिति के अलावा पक्षकारों का रवैया भी अहमियत रखता है। हालात बदलने पर आदेश में परिवर्तन भी किया जा सकता है।
      इसलिए कानून तो योगेश के पक्ष में है बाकी गुजारा भत्ता पत्नी को उसे देना चाहिए या नहीं यह कोर्ट द्वारा वास्तविक स्थिति देखकर ही निश्चित किया जाएगा.
          शालिनी कौशिक एडवोकेट
             (कानूनी ज्ञान) 

सोमवार, 12 अगस्त 2019

इंडिया वर्सेस एडवेंचर्स मोदी


नई दिल्ली: डिस्कवरी चैनल के एडवेंचर शो 'मैन वर्सेज वाइल्ड (Man VS Wild)' के स्पेशल एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), बेयर ग्रिल्स (Bear Grylls) के साथ जंगल में खतरों से खेलते नजर आएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी और बेयर ग्रिल्स (Bear Grylls) का ये स्पेशल एपिसोड उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) में शूट हुआ है. इस शो के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन का कुछ अलग ही अंदाज देखने को मिलेगा. डिस्कवरी चैनल पर नरेंद्र मोदी का ये स्पेशल एपिसोड 12 अगस्त यानी आज टेलीकॉस्ट होगा. कहा ये जा रहा है कि एपिसोड को लेकर पाकिस्तान के लोगों का दर्द भी छलक रहा है जबकि अगर हम देश के ताज़ा हालात पर गौर फरमाएं तो हमें भी प्रधानमंत्री जैसे प्रमुख पद पर बैठे हुए नरेंद्र मोदी जी का यह सब करना गैर ज़रूरी और देश की आवाम के साथ धोखा नज़र आ रहा है.
         आज के हालात कहें या तब के हालात जब प्रधानमंत्री जी ने मैन वर्सेस वाइल्ड की शूटिंग की, दोनों ही समय में जब इन्हें सेना के, आम जनता के साथ खड़े होना चाहिए था, ये शूटिंग कर रहे थे. मैन वर्सेस वाइल्ड की जब शूटिंग हो रही थी तभी पुलवामा आतंकी हमला हुआ सेना के 42 जवान शहीद हो गए, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शूटिंग नहीं रोकी, आज जब यह टेलीकास्ट हो रहा है तब देश के हालात क्या हैं ये सभी जानते हैं फिर भी सबूत के बगैर कुछ भी साबित नहीं किया जा सकता इसी मद्देनजर कुछ आज के समाचार अमर उजाला व दैनिक भास्कर से उद्भृत हैं -
देश के कई राज्यों में इस वक्त बाढ़ से बुरा हाल है। कर्नाटक में भी लोग बाढ़ के कारण परेशान हैं। यहां इंसान तो क्या जानवर तक की जान पर खतरा मंडरा रहा है। इसी बीच एक वीडियो सामने आया है। जिसमें दिख रहा है कि बेलगाम की रायबाग तहसील में विशाल मगरमच्छ एक घर की छत पर चढ़ गया है। लोगों ने इस घटना को कैमरे में कैद कर लिया है।

        विशाखापत्तनम में अपतटीय आपूर्ति जहाज (ऑफशोर सप्लाई वेसल) कोस्टल जगुआर जहाज में सोमवार सुबह भीषण आग लग गई। जिसके बाद जहाज में सवार 29 लोगों ने पानी में कूद गए। घटना की जानकारी होने के बाद मौके पर पहुंची भारतीय तटरक्षक बल की टीम ने 28 क्रू मेंबर्स को बचा लिया। इस घटना में एक आदमी का पता नहीं चल सका है जिसकी खोज जारी है।
            उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में रातभर से हो रही बारिश से जलप्रलय जैसी स्थिति पैदा हो गई है। यहां पहाड़ी नदियां और बरसाती नाले उफान पर हैं।
         बड़वानी. नर्मदा का जलस्तर बढ़ने से टापू बने राजघाट में बिजली के खुले तारों की चपेट में आने से सोमवार सुबहदो डूब प्रभावितों की मौत हो गई, वहीं तीन की हालतगंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। लापरवाही के चलते हुए हादसे से गुस्साए लोगों ने शव को नाव में रखकर विरोध प्रदर्शन किया गया। उधर, आंदोलन प्रमुख मेघा पाटकरने इसे बेकसूरों की हत्या बताते हुएआंदोलन तेज करने की सरकार को चेतावनी दी है।
        जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह राजधाट के 5 डूब प्रभावित नाव से खाना लेकर जा रहे थे, तभी उनकी नावबिजली के खुले तारोंकी चपेट में आ गई। बिजली का झटका लगने से नाव में सवारराजघाट निवासी चिमन पिता नटवर दरबार और संतोष पिता लालसिंह की मौत हो गई। हादसे में तीन लाेग झुलस कर घायल हो गए।हादसे की सूचना के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे, जहां उन्हें जनता के रोष का सामना करना पड़ा। लोगों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाहीं के चलते यह हादसा हुआ है।
         देश के ऐसे हालात में क्या कोई इस तरह के एडवेंचर की सोच सकता है जिस तरह के एडवेंचर दिखा कर मोदी अपनी विशिष्ट पहचान बनाना चाहते हैं. बॉलीवुड सितारों से मिलना हो तो मोदी जी के पास समय है देश के किसानों व सेवानिवृत्त जवानों को समय की कमी कह लौटा दिया जाता है, इंटरव्यू देना हो तो करण थापर को दोस्ती बनी रहे कहकर इंटरव्यू रोक अक्षय कुमार जिनका पत्रकारिता से दूर दूर का कोई रिश्ता नहीं को इंटरव्यू दिया जाता है, ट्विटर पर अपनी सक्रियता दिखानी हो तो ट्विंकल खन्ना के ट्वीट पढ़कर दिखाई जाती है और भी बहुत कुछ ऐसा है जो मोदी जी की विशिष्टता ज़ाहिर करता है पहले के सभी प्रधानमंत्रियों से क्योंकि पहले के जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं वे मोदी जी के अनुसार उस विशिष्ट प्रतिभा के धनी नहीं थे जिससे मोदी जी सराबोर हैं.
            ये भारत देश का गौरव है कि यहां नेहरू, इंदिरा, राजीव सभी को भुला दिया जाएगा क्योंकि ये एक वंश परंपरा से जुड़े हुए हैं और इनके वंशजों के पास आज वह वाक चातुर्य नहीं है जिसके धनी मोदी जी हैं और रही वह जनता जिसके लिए ये लोग अपना बलिदान दे गए उस जनता में वह कृतज्ञता नहीं और कुछ जनता का स्वार्थ जिसकी पूर्ति वह वर्तमान सरकार में देखती है और पुराने किए को भुला देती है, वैसे भी ये तो सर्वविदित है कि नीव का पत्थर कोई नहीं देखता सभी को कंगूरे की ईंट ही नज़र आती है.
           आज तो स्थिति ये है कि मोदी जी जो करते हैं वहीं विशेषण बन जाता है, जो आजतक किसी प्रधानमंत्री की हिम्मत नहीं हुई वह हिम्मत मोदी जी ने दिखाई, अनुच्छेद 370 व 35 A को हटाकर कश्मीर की जनता को स्वयं मोदी जी के अनुसार, आज़ादी दिलाई, पर सवाल ये है कि ये कैसी आज़ादी है जो कश्मीर की जनता को अनुच्छेद 370 से निकाल कर धारा 144 व सेना की छाया में खड़ा कर देती है, अगर मोदी जी वास्तव में एडवेंचर पसंद करते हैं तो एक बार वहां से धारा 144 हटाएं, सेना हटाएं व कर्फ्यू से कश्मीर को मुक्त कर जनता के बीच जाएं, अब साहसी प्रधानमंत्री मोदी जी का कश्मीर की जनता के प्रति इतना फर्ज़ तो बनता है.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

लड़के का हक़ - एक लघु कथा


''मम्मी ''मैं कॉलिज जा रही हूँ आप गेट बंद कर लेना ,कहकर सुगन्धा जैसे ही गेट से बाहर निकली कि शिशिर ने उसका रास्ता रोक लिया .....क्या भैय्या ,जल्दी है ,आपसे शाम को मिलती हूँ ,नहीं तू कहीं नहीं जा रही ,सड़कों का माहौल बहुत  ख़राब है और मैं जानता हूँ कि तू और तेरी सहेलियां भी कुछ लड़कों से बहुत परेशान हैं .अरे तो क्या हो गया ये तो चलता ही रहता है अब जाने दो ,आधा घंटा तो कॉलिज पहुँचने में लग ही जायेगा और फर्स्ट पीरियड ही अकडू प्रशांत सर का है अगर देर हुई तो वे सारे टाइम खड़ा ही रखेंगे .सुगन्धा ने भाई की मिन्नतें करते हुए कहा .
''नहीं तू कहीं नहीं जा रही ,''ये कह धमकाते हुए वह जैसे ही उसे घर के अन्दर ले जाने लगा कि पापा-मम्मी दोनों ही बाहर आ गए .क्या हुआ क्यों लड़ रहे हो तुम दोनों ?शिशिर ने पापा-मम्मी को सारी बात बता दी .
''ठीक ही तो कह रहा है शिशिर ,''चल सुगन्धा घर में चल हमें न करानी ऐसी पढाई  जिसमे  लड़की  की जिंदगी व् इज्ज़त और घर का मान सम्मान दोनों ही खतरे में पड़ जाएँ .चल .और बारहवी तो तूने कर ही ली है ,अब प्राइवेट पढले या फिर बस पेपर देने जाना ,वैसे भी कॉलिज में कौन सी पढाई होती है ,ये कह मम्मी सुगन्धा को अन्दर ले गयी और पापा बेटे की पीठ थपथपाते हुए बाइक पर ऑफिस  के लिए निकल गए .
शाम को मम्मी और सुगन्धा जब बाज़ार से लौट रही थी तो एकाएक सुगन्धा चिल्ला उठी ...मम्मी ....मम्मी ...देखो पापा बाइक पर किसी लेडी के साथ जा रहे हैं ..परेशान होते हुए भी मम्मी ने कहा -होगी कोई इनके ऑफिस से ....पर इन्हें देख कर तो ऐसा नहीं लगता ...सुगन्धा बोली ...चल घर चल ,ये कह मम्मी खींचते हुए उसे घर ले चली .
तभी एक मोड़ पर ...'''शिशिर मान जाओ ,आगे से अगर तुमने मुझे कुछ कहा तो मैं घर पर सभी को बता दूँगी और तब तुम्हें पिटने से कोई नहीं बचा पायेगा ,''एक लड़की चिल्ला चिल्ला कर शिशिर से कह रही थी ...देखो माँ भैय्या क्या कर रहा है और लड़कियों के साथ और मुझे और लड़कों से बचाने को घर बैठा दिया ,...सही किया उसने ....भाई है तेरा वो ...और वो क्या कर रहा है ....ये तो उसका हक़ है .....वो लड़का है ना ....मम्मी ने बात हँसी में उड़ाते हुए कहा. 
शालिनी कौशिक