सबको नए वर्ष की बहुत-२ हार्दिक शुभकामनाएं :-)
बाकी बीते सालों की तरह 2014 की भी शुरुआत हो ही गयी हैं
पता नहीं क्यों पर इस बार मेरा भी मन नये साल को सेलिब्रेट करने का कर रहा हैं
शायद हम पीछे के कुछ पन्नों को पलट कर देखे तो हम पाएंगे कि
1947 को भी 1st जनवरी को बुधवार ही था
थोड़ा आगे बढे तो इस बार भी 26th जनवरी व 15th अगस्त
उसी ही दिन सेलिब्रेट किये जायेंगे १९४७ में जिस दिन किये गए थे
खैर देखना दिलचस्प तो तभी होगा जब सच में कुछ बदलेगा....
1947 में हमें अंग्रजों से आजादी मिली थी
उम्मीद करते हैं इस बार हमें अपनों (भ्रष्टाचार ,रिश्वत ,etc )से आजादी मिले
उम्मीद करते हैं कि इस बार तो सच्चे भारत का निर्माण हो
हां लड़कियां भी तो भला अभी तक कहाँ आज़ाद हो पायी हैं
बांधकर हमारे पैरों में बेड़ियाँ कहते हो
अब तुम आज़ाद हो जाओ उड़ो
इजाजत नहीं पैरो को फैलाने और फड़फड़ाने की भी
और कहते हो कि उड़ सकती हो ???????
बताओ कैसे ???????
हर कोई उड़ने की चाह रखता है तो फिर
पुरुषों को नारी का उड़ना गवारा क्यों नहीं ????
अगर आज हमारे देश में नारी बेबस ,लाचार
मजबूर और लावारिश हैं तो
सच पुछो अपने दिल से कि क्या हमारा देश
आजाद हैं ?????
मैं कदापि इसे आजादी नहीं मानती हू
आज न्यूज़ पेपर में हर रोज यही न्यूज़ क्यूँ आती हैं कि
यहाँ इस औरत की हत्या कर दी गयी
वहाँ उस लड़की का अपहरण कर लिया गया क्यूँ आखिर क्यों ??????????
अगर लोग हर रोज ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहे तो
हम भला कहा आजाद हैं ?????
आम लड़कियों का तो इन घटनाओं को
सुनकर घर से बहार निकलना भी दुर्लभ हो जायेगा !!!!!!!!!
आज हम चाहे किसी भी केस को उठाकर देख ले
चाहे भंवरी देवी हत्याकांड या अनुराधा बाली (फिज़ा )
का केस हो या फिर गीतिका हत्याकांड हो ?????
हर एक केस में औरत को ही कीमत चुकानी पड़ी हैं और वो
भी अपनी जान गवांकर :-(
इन लोगों को कतई हक नहीं है कि यह औरत को
सजा-ए-मौत दे और
हरेक केस में औरत का ही मर्डर क्यों हुआ हैं या फिर
औरत ने ही आत्महत्या क्यूँ की हैं ????????
(यह मेरे ब्लॉग की पोस्ट नारी मेरी डायरी से कॉपी किया गया हैं )
खैर शायद २०१४ हमें भी आज़ाद कर जाये क्या पता
आसमां अभी और भी ऊँचा हैं :-)
बाकी बीते सालों की तरह 2014 की भी शुरुआत हो ही गयी हैं
पता नहीं क्यों पर इस बार मेरा भी मन नये साल को सेलिब्रेट करने का कर रहा हैं
शायद हम पीछे के कुछ पन्नों को पलट कर देखे तो हम पाएंगे कि
1947 को भी 1st जनवरी को बुधवार ही था
थोड़ा आगे बढे तो इस बार भी 26th जनवरी व 15th अगस्त
उसी ही दिन सेलिब्रेट किये जायेंगे १९४७ में जिस दिन किये गए थे
खैर देखना दिलचस्प तो तभी होगा जब सच में कुछ बदलेगा....
1947 में हमें अंग्रजों से आजादी मिली थी
उम्मीद करते हैं इस बार हमें अपनों (भ्रष्टाचार ,रिश्वत ,etc )से आजादी मिले
उम्मीद करते हैं कि इस बार तो सच्चे भारत का निर्माण हो
हां लड़कियां भी तो भला अभी तक कहाँ आज़ाद हो पायी हैं
बांधकर हमारे पैरों में बेड़ियाँ कहते हो
अब तुम आज़ाद हो जाओ उड़ो
इजाजत नहीं पैरो को फैलाने और फड़फड़ाने की भी
और कहते हो कि उड़ सकती हो ???????
बताओ कैसे ???????
हर कोई उड़ने की चाह रखता है तो फिर
पुरुषों को नारी का उड़ना गवारा क्यों नहीं ????
अगर आज हमारे देश में नारी बेबस ,लाचार
मजबूर और लावारिश हैं तो
सच पुछो अपने दिल से कि क्या हमारा देश
आजाद हैं ?????
मैं कदापि इसे आजादी नहीं मानती हू
आज न्यूज़ पेपर में हर रोज यही न्यूज़ क्यूँ आती हैं कि
यहाँ इस औरत की हत्या कर दी गयी
वहाँ उस लड़की का अपहरण कर लिया गया क्यूँ आखिर क्यों ??????????
अगर लोग हर रोज ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहे तो
हम भला कहा आजाद हैं ?????
आम लड़कियों का तो इन घटनाओं को
सुनकर घर से बहार निकलना भी दुर्लभ हो जायेगा !!!!!!!!!
आज हम चाहे किसी भी केस को उठाकर देख ले
चाहे भंवरी देवी हत्याकांड या अनुराधा बाली (फिज़ा )
का केस हो या फिर गीतिका हत्याकांड हो ?????
हर एक केस में औरत को ही कीमत चुकानी पड़ी हैं और वो
भी अपनी जान गवांकर :-(
इन लोगों को कतई हक नहीं है कि यह औरत को
सजा-ए-मौत दे और
हरेक केस में औरत का ही मर्डर क्यों हुआ हैं या फिर
औरत ने ही आत्महत्या क्यूँ की हैं ????????
(यह मेरे ब्लॉग की पोस्ट नारी मेरी डायरी से कॉपी किया गया हैं )
खैर शायद २०१४ हमें भी आज़ाद कर जाये क्या पता
आसमां अभी और भी ऊँचा हैं :-)
सारिका !!!!!!