शुक्रवार, 22 मार्च 2013

अमिताभ बच्चन:भारतवर्ष की विभूति

अमिताभ बच्चन:भारतवर्ष की विभूति

 

फुल्ल कमल ,       दूध नवल,
गोद नवल,          पूत नवल,
मोद नवल,          वंश में विभूति नवल,
गेंहू में विनोद नवल,  नवल दृश्य ,
बाल नवल,          नवल दृष्टि ,
लाल नवल ,         जीवन का नव भविष्य ,
दीपक में ज्वाल नवल , जीवन की नवल सृष्टि .
      जानते हैं हरिवंश राय ''बच्चन''जी की इस कविता की सृष्टि किस हस्ती के लिए हुई ,उन्ही के लिए जो न केवल उनके वंश की वरन हमारे भारतवर्ष की विभूति हैं . सितारों की दुनिया बोलीवूड  पर एक लम्बे समय से राज करने वाले अमिताभ जी ने जब हरिवंश राय जी के यहाँ जन्म किया तो एक  कवि ह्रदय से यही उद्गार प्रगट होने थे और हुए किन्तु जैसे कि माँ-बाप को तो अपने सभी बच्चे प्रिय होते हैं किन्तु कितने बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने माँ-बाप के सपनों पर खरे उतरें ये सवाल भविष्य के गर्त में ही छिपा रहता है और अमिताभ जी वह विभूति हैं जो अपने माता -पिता के सपनों पर खरे उतरे और न केवल खरे उतरे बल्कि एक बहुत अच्छे पुत्र ,पति ,पिता और सबसे बड़ी बात है कि इन्सान साबित हुए। माता पिता की सेवा को अमिताभ जी ने पूर्ण निष्ठां से निभाया और उन्हें अपने इस कार्य पर कोई घमंड नहीं बल्कि वे कहते हैं -
''हर संतान को यह सब करना चाहिए .मैं ऐसा मानता हूँ और मैंने ऐसा किया इस वजह से कभी कुछ नहीं किया कि आदर्श बनना है या मिसाल रखनी है .''
  आज के युग में ऐसा चरित्र  इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज भौतिकवाद बढ़ रहा है और बच्चा स्वयं अपने माँ बाप से छुटकारा पाने में अपनी स्वतंत्रता मन रहे हैं ,कुम्भ में छोड़ रहे हैं या वृद्धाश्रमो में भेज रहे हैं .
      एक पति के रूप में उनकी खूबियों को जया जी से बेहतर  कोई नहीं बता सकता .वे कहती हैं -
''अमित जी हर फैसले में अपने परिवार के साथ बेशर्त खड़े हुए ,चाहे वह बाद में मेरी फिल्मों में वापसी हो या बच्चों की जिंदगी .वे बेमिसाल बेटे तो साबित हुए ही पति और पिता के रूप में भी बहुत प्यारे हैं .जब वे अस्पताल में मौत से जूझ रहे थे ,पूरा देश  उनके लिए दुआ कर रहा था तब भी उन्हें मेरी और बच्चों की चिंता थी .''
अमिताभ बच्चन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ न केवल लिखते हैं बल्कि उनके खिलाफ खड़े होकर लड़ते भी हैं .और अपने जीवन में भी अपने विचारों को स्थान  देते हैं .जया जी बताती है -
   ''मई  १९७३  में जंजीर रिलीज़  हुई  और तीन साल के बाद 4 जून १९७३ को हम एक दूसरे के हो गए .शादी से पहले ही उन्होंने मेरे घरवालों को बता दिया था कि वे दहेज़ या उपहार स्वीकार नहीं करेंगे और वे उस पर अडिग रहे .''

 आज जहाँ हमारा समाज तलाक जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है और ऐसे में बोलीवूड जैसी जगह जहाँ रिश्तों के लिए न कोई स्थान है न कोई मर्यादा वहां अमिताभ जी एक ऐसा परिवार लेकर चल रहे हैं जहाँ पूर्ण सामाजिक दायित्वों का निर्वाह किया जाता है .माँ-बाप के प्रति अपने पूरे कर्तव्य निभाए जाते हैं पति पत्नी द्वारा अपने संबंधों को पूर्ण गरिमा और विश्वास के साथ निभाया जाता है और बेटा-बेटी -बहू  के प्रति अपने सभी दायित्व पूर्ण किये जाते हैं और इन संबंधों में जो आपसी प्रेम विश्वास होना चाहिए वह सभी यहाँ देखने में आता है .पति पत्नी के रिश्तों को उन्होंने एक नया मुकाम यहाँ दिलाया है जहाँ आमिर -रीना ,धर्मेन्द्र-प्रकाश कौर-हेमामालिनी ,बोनी-श्रीदेवी जैसे मामले हैं वहां जया जी को सौभाग्यशालिनी ही कहा जायेगा की उन्हें एक महानायक से सीधे सादे इन्सान का प्यार मिला .वे कहती हैं -
''शादीशुदा जिंदगी में रूमानियत हमेशा नहीं रहती ,पर मुहब्बत हमेशा जिंदा रहती है .जब मुझे मलेरिया हुआ ,वह किसी नर्स की तरह बुखार उतरने तक मेरे माथे पर गीली पट्टियाँ रखते रहे ,हमारा दांपत्य जीवन किसी दूसरे दंपत्ति से अलग नहीं रहा .''
बड़ों के प्रति सम्मान उनके संस्कारों में भरा है कहती हैं जया -
''मेरे घर पहुँचने में देरी होने पर अमित जी मेरी माँ से इतने प्यारे ढंग से माफ़ी मांगते थे कि  वे तुरंत नरम पड़ जाती थी .सच कहूं तो दूसरों का ख्याल रखना और आदर देना उनके संस्कारों में शामिल हैं .''
 अपने परिवार को प्रमुखता देना अमिताभ जी का विशेष गुण है और इसलिए वे अपने परिवार में बहुत प्रिय हैं .एक साक्षात्कार में जब अभिषेक बच्चन से पूछा गया -''व्यक्ति,पिता और परिवार के मुखिया के रूप में आप उनका चित्रण कैसे करेंगे ?'' तो वे कहते हैं -''हर रूप में सर्वोत्तम .''

अमिताभ जी जहाँ काम करते हैं पूरे दिल  से करते हैं और इसी का परिणाम है उनके हर काम में सफलता का मिलना .अमिताभ जी के जो मन में आता है वह करते हैं और उसे पूरी शिद्दत से करते हैं कोई कितना भी उन्हें डिगाने की कोशिश करे वे कभी विचलित नहीं होते ''कौन बनेगा करोड़पति ''शो द्वारा टेलीविजन पर उतरने वाले अमिताभ जी ने ये मिसाल पेश की है की कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता बल्कि वह उसे करने वाले की शख्सियत और मेहनत पर निर्भर है और ये शो उन्होंने तब किया जबकि जया जी इसके खिलाफ थी क्योंकि वे सोचती थी कि इससे अमिताभ जी की विशाल छवि टीवी तक सिकुडकर रह जाएगी .गुजरात जहाँ गोधरा दंगों की काली छाया ने पर्यटन को बहुत नुकसान पहुँचाया था उसे संवारा फिर से अमिताभ जी ने .साइबर संसार में सुपर लाइक अमिताभ जी के लिए हुए  बीबीसी के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में उन्हें ''स्टार ऑफ़ द मिलेनियम  '' के ख़िताब दिया गया .सुपर स्टार की हैसियत पाने के बाद हृषिकेश मुखर्जी अमिताभ बच्चन को ''महाराज'' कहकर बुलाते थे .ऐसे हैं अमिताभ जी कि मन करता है कि कहूं  ,एक बार नहीं बार बार कहूं -
''कुछ लोग वक़्त के सांचों में ढल जाते हैं ,
कुछ लोग वक़्त के सांचों को ही बदल जाते हैं ,
माना कि वक़्त माफ़ नहीं करता किसी को ,
पर क्या कर लोगे उनका जो वक़्त से आगे निकल जाते हैं .''
         सीखिए आज के हीरों बनने चले आज कल के युवाओं कि सच्चा मर्द कैसे बना जाता है .
शालिनी कौशिक

2 टिप्‍पणियां:

देवदत्त प्रसून ने कहा…

सफल पारिवारिक जीवन के लिये अच्छी प्रेरणा दी गयी है |आप को शुभ होली की वधाई !!

Rajesh Kumari ने कहा…

अमिताभ जी एक मिसाल हैं सबसे पहले अच्छे इंसान और अच्छा इंसान होना ही सफल जीवन की कुंजी है औरो को प्रेरणा लेनी चाहिए सुन्दर आलेख हेतु बधाई आपको ।