शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

माँ की महिमा :-)

माँ भूखी रहती हैं ,
                          खिलाने के लिये !!
मेहनत-मजदूरी करती हैं, 
                                     पढ़ाने के लिये !!
सादगी से रहती हैं,
                           अच्छा पहनाने के लिये !!
लाल-पीली होती हैं ,
                           सही राह दिखाने के लिये !!
खून-पसीना बहाती हैं ,
                                 अच्छा इंसान बनाने के लिये !!
हर गम सहती हैं,
                         बुराइयों से बचाने के लिये !!
छुपकर आंसू बहाती हैं ,
                                   मेरे गुनाहों को भुलाने के लिये !!
हर वक़्त दुआ करती हैं ,
                                    बदी से बचाने के लिये !!
आओ बड़े होकर कुछ कर दिखाए ,
                                                  गर्व करने के लिये !!
किसी एक के लिये नहीं ,
                                    "सारिका "कहती हैं सारे ज़माने के लिये !!:-)

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

मेरी डायरी के कुछ पुराने पन्नें.....

पता हैं औरत हर रोल कर सकती हैं जबकि आदमी कभी भी नहीं
औरत आदमी की जिमेदारियों को उससे भी ज्यादा अच्छे से निभा सकती हैं जबकि
आदमी हुह अच्छा तो छोड़ो बेमुश्किल निभा पाएंगे :-)
हां महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं इससे अच्छी बात और क्या हो सकती हैं ??
पर हमारे लिए तो हर रोज वहीं ढाक के तीन पात वाली ही बात हैं
अगर महिलाऐं आगे बढ़ने लगी तो बस लोगों ने इसके लिए विरोध करना शुरू कर दिया
कि महिलाओं के आगे आने से पुरुष प्रधान समाज की वैल्यू कम हो जायेगी
क्यों.....आखिर क्यों ?????
मुझे एक नारी होने के साथ-२ यह सोचकर ख़ुशी होती हैं कि
चाहे कोई महिला इस देश की राष्ट्रपति भी क्यों ना हो
पर वो हमेशा अपने पति की इज्जत करते हैं ,उनकी कद्र करते हैं 
एक नारी कितने भी उच्च पद पर क्यों न हो
पर हमेशा वो अपने पति के सामने झुकी हुई हैं
फिर भी कुछ लोगों को ना जाने क्यूँ अपने मान-सम्मान की चिंता लगी रहती हैं ??
जबकि वो नारी तो उसका सम्मान बढ़ा रही हैं
हमें अपने दिमाग से इस बात को निकालना ही होगा तथा
इस दुनिया के पुरुष प्रधान तथा नारी समाज से परे केवल
एक अच्छे इंसानो के समाज का उदय करना होगा :-)
अगर आज पुरुषों को केवल नारी के इतना सा आगे बढ़ने से ही इतनी तकलीफ हो रही हैं
तो इन्हें सोचना चाहिए कि नारी तो आज तक इन्हें बर्दाश्त करती आयी हैं !!
क्यों आज की बढ़ती हुयी नारी इन्हें पसंद नहीं आयी ???
इस देश के लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि 
अगर लड़कियां रैम्प पर कैटवॉक करके फैशन डिज़ाइनर (मॉडल) बन सकती हैं 
तो वो ही लड़की तलवार के बल पर लड़कर दुश्मनों को मिट्टी में मिलाकर झाँसी की रानी भी बन सकती हैं :-)
लड़की का काम केवल चूल्हा-चौका ही सम्भालना नहीं 
वो एक अच्छी बिज़नेस वुमन भी बन सकती हैं 
हम अगर मिस यूनिवर्स बन सकते हैं तो हम एक बेस्ट डॉटर भी बन सकते हैं 
हम रिश्तों को केवल निभाना ही नहीं सही से इन्हें संजोकर रखना भी जानते हैं 
हम केवल नारी रूप को ही नहीं 
हम बेटी रूप ,बहु रूप और माँ के रूप तक को अच्छे से सुशोभित करना जानते हैं !!!!!!
"लड़की लड़की नहीं चिंगारी हैं 
हम अबला नहीं आज की सबला भारतीय नारी हैं !!"

शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

आत्म सम्मान .......एक लघु कथा

''तमने अपने पति की हत्या क्यों की ?,
इंस्पैक्टर ने कमला को जेल ले जाते हुए पूछा |
  इस सती सावित्री,अनसुइया के पावन देश मे तूमने ऐसा अपराध किया ;घोर आश्चर्य !
     कमला ने बेहिचक कहा ''सावित्री ,अनसुइया के पति ने कभी अपनी पत्नी पर ऐसा मर्यादाहीन लांछन लगाया? इंस्पैक्टर सोचने पर मजबूर हो गया|
  ''मेरे पति के दोस्त मुझ पर बुरी नजर रखते थे| मेरे पति देख कर भी अनदेखा कर देते थे| जो मुझे बिलकुल गवारा नहीं था|| फिर भी जब मैंने उनसे इस बात की शिकायत की तो उल्टा मुझे ही बदचलन  कहा गया| ,
     अब तो रोज ही मुझे इस उपाधि से नवाजा जाने लगा| कब तक बर्दाश्त करती| मै भी एक इंसान थी|
आत्म सम्मान से जीने का हक मुझे भी ही है| उसी आत्म सम्मान की रक्षा के लिए कल रात मैंने उनको उनके किये की सजा दिलाई|, कमला ने अपनी बात ख़त्म की और शुन्य मे ताकने लगी

शांति पुरोहित

  

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

आभास और संकेत

कल्पना
ख्वाब
गफलत
आभास एक नारी मन का !
हकीकत
चेतन
यथार्थ
संकेत एक पुरुष सोच का !
कल्पना कर नारी सजाये सुन्दर घर
ख्वाब देख रखे खुशियों की तमन्ना
गफलत में माने सब अपना .
हकीकत दिखाए जीवन की पुरुष सबको
चेतन अवस्था में ले आये शिथिल मन को
यथार्थ ला उजाड़े ख्वाबों के उपवन को .

शालिनी कौशिक