गुरुवार, 21 नवंबर 2013

मोदी तो गली गली की खाक......

"I am not here to make you emotional, but to wipe your tears," said BJP PM candidate Narendra Modi at a rally in Jhansi on Oct 25. That was directly aimed at Congress AICC vice-president Rahul Gandhi, who recently made an emotional speech saying, "

सुषमा स्वराज कहती हैं -''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .''

और आश्चर्य है कि ऐसी सही सोच रखने वाली सुषमा जी जिस पार्टी से सम्बध्द हैं उसी पार्टी ने जिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है उन्ही ने मर्यादित भाषा की सारी सीमायें लाँघ दी हैं.व्यक्तिगत आक्षेप की जिस राजनीती पर मोदी उतर आये हैं वह राजनीति का स्तर निरंतर नीचे ही गिरा रहा है .सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर वे यह समझ रहे हैं कि अपने लिए प्रधानमन्त्री की सीट सुरक्षित कर लेंगे जबकि उनसे पहले ये प्रयास भाजपा के ही प्रमोद महाजन ने भी किया था उन्होंने शिष्ट भाषण की सारी सीमायें ही लाँघ दी थी किन्तु तब खैर ये थी कि वे भाजपा के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नहीं थे .
अटल बिहारी वाजपेयी जी जैसे सुलझे हुए नेतृत्व में रह चुकी यह पार्टी जानती होगी कि कैसे संसदीय व् मर्यादित भाषा के इस्तेमाल के द्वारा अपने विरोधियों को भी अपना प्रशंसक बनाया जाता है .सत्ता की होड़ में लगे सभी दलों का अपना अपना स्थान बनाने की अपनी अपनी शैली होती है और सभी विरोधी दलों को उनके सिद्धांतों ,नीतियों की खुली आलोचना कर उसे जनता के समक्ष बेनकाब करते हैं किन्तु भाजपा के ये नए उम्मीदवार इस कसौटी पर कहीं भी खरे नहीं उतरते और न ही स्वयं भाजपा क्योंकि इस पार्टी में एक प्रदेश से आये व्यक्ति को बरसों बरस से दल की सेवा कर रहे अनुभवी ,योग्य ,कर्मठ नेताओं के ऊपर बिठा दिया जाता है और वह केवल इस दम पर कि वे चारों तरफ से अपना पलड़ा मजबूत कर आगे बढ़ रहे हैं बिलकुल वैसे ही जैसे पुराने राजा -महाराजाओं में कोई भी अपनी ताकत के बलपर राजा को जेल में डाल देता था और स्वयं राजा बन जाता था ठीक वैसे ही भाजपा की ओर से कब से प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले बैठे आडवाणी जी ,भाजपा के अत्यंत योग्य सुषमा स्वराज जी ,अरुण जेटली जी एक ओर बिठा दिए जाते हैं और मोदी जैसे तलवार के दम पर आगे बढ़ जाते हैं .
आज भाजपाई भारत रत्न के विवाद के बढ़ने पर कॉंग्रेस को चित करने के लिए अटल जी के लिए भारत रत्न की बात करते हैं अरे पहले अपने दल में तो उन्हें रत्न का दर्जा दीजिये ,इस तरह उन्हें नकारकर तो ये दल स्वयं को और उन्हें हंसी का पात्र ही बना रहा है स्वयं अपने घर में जिसकी कद्र न हो उसे बाहर का कुछ नहीं भाता और अटल जी के साथ ये पार्टी वही व्यवहार कर रही है जो आज इस दल की मुख्य पंक्ति करती है .भारतीय जनता में आज बुजुर्गों के साथ इसी तरह का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार का प्रयोग में लाया जाता है और सभी देख रहे हैं कि कैसे आज भाजपा ने अटल जी को एक तरफ फैंक दिया है ये तो मात्र कॉंग्रेस के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति है जो वे याद किये जा रहे हैं

आडवाणी जी ये समझ रहे हैं और इसलिए अपने को ऐसे हाल से बचाने के लिए विरोध के बावजूद ऊपर से भले ही ''नमो -नमो ''का उच्चारण कर रहे हैं किन्तु अंदर से जाप मरो-मरो का ही कर रहे हैं और यही कारण है कि मोदी की तुलना ओबामा से करते हैं खुद से क्यूँ नहीं करते ?जानते हैं कि मोदी ''देशी भेष में अमरीकन दिल ''लिए फिरते हैं और जैसे कि सभी जानते हैं कि
''इश्क़ व् मुश्क़ छिपाये नहीं छिपते ''
वैसे ही मोदी का अमरीका प्रेम भी कहाँ छिपने वाला है जब तब वहाँ के वीज़ा मिलने की ख़बरें आज की पेड़ न्यूज़ द्वारा निकलवाते रहते हैं इसलिए आडवाणी जी ओबामा से ही मोदी की तुलना में भलाई समझते हैं और इस तरह अपने दोनों हाथ तेल में और सिर कढ़ाई में रखते हैं कि अगर मोदी बाईचांस प्रधानमंत्री बन गए तो ओबामा से तुलना का श्रेय और नहीं बने तो मैंने तो पहले ही विरोध किया था और फिर आज प्रचार की जिस बुलंदी पर अन्य भाजपाइयों के मुकाबले मोदी हैं कोई भी अन्य भाजपाई ''आ बैल मुझे मार ''कह मोदी से क्यूँ भिड़ेगा ?
स्थानीय क्षेत्रों में भी वह व्यक्ति जो पुलिस वालों से बदतमीजी से ,असभ्यता से बातचीत कर लेता है वह बहुत बड़ा नेता माना जाता है क्योंकि आमतौर पर लोग पुलिस वालों के साथ चापलूसी ,खुशामदी रवैया अपनाते हैं किन्तु उनकी बहादुरी वहाँ नज़र आती है जब पुलिस वाले उनसे अपना काम निकालने के लिए उन्हें अपनी व् कानून की ताकत दिखाते हैं और तब वे बड़े बड़े बोल बोलने वाले पुलिस वालों के जूते साफ करते नज़र आते हैं ,वही स्थिति यहाँ नज़र आ रही है .यहाँ स्थानीय नेता की भूमिका में नरेंद्र मोदी हैं और पुलिस की भूमिका में राहुल व् सोनिया गांधी ,जनता पर अपना प्रभाव दिखाने को ,देश की किसी भी समस्या के बारे में जानकारी न रखने वाले ,किसी भी स्थिति का सही सामान्य ज्ञान न रखने वाले मोदी मात्र राहुल सोनिया के विरोध के दम पर ही अपने झंडे गाड़ने की कोशिश में भाजपा की कथित सभ्य ,देश की संस्कृति का सम्मान करने की छवि का रोज अपमान करते जा रहे हैं और अपमान कर रहे हैं भारतीय संविधान का जिसने १९५० में ही देश को गणतंत्र घोषित किया और सम्राट परम्परा का अंत किया .
समझ नहीं आता कि ऐसे में भाजपा को नेताओं की ऐसे क्या कमी पड़ गयी है जो मोदी जी जैसे अशिष्ट ,असभ्य और अल्पज्ञ व्यक्ति को अपना २०१४ के नेतृत्व सौंप दिया जबकि उनके जैसे नेता तो भारत की हर गली में खाक छानते फिरते हैं .

शालिनी कौशिक
[ कौशल ]

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