लक्ष्मी आन विराजो ,लख-लख दीप जलाते हैं ,
नाम लिखा दो लखपतियों में ,तुम्हें बुलाते हैं .
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घर का हर कोना चमकाएं ,रंग-बिरंगा उसे सजाएँ ,
खन-खन कान में बजवाने को समय लगाते हैं .
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सोने चांदी के सिक्कों से गणपति पूजें साथ तेरे ,
छप्पर फाड़ मेरे घर आओ ,भोग लगाते हैं .
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धन-दौलत की खातिर माता पूजन करते बड़े बड़े ,
उल्लू को अँधा करने को बल्ब जलाते हैं .
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लक्ष्मी पाने की खातिर ही रखते हैं हम द्वार खुले ,
कभी कभी लालच में मैया हम लूट जाते हैं .
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शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN ]
2 टिप्पणियां:
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
लक्ष्मी पाने की खातिर ही रखते हैं हम व्दार खुले।
कभी -क्भी लालच में मैया हम लुट जाते हैं
"इन पक्तियों में आप ने आज की सच्चाई का बयान किया है।आज भी पुराने विचार को माना जाता है कि यदि दिवाली के दिन घर से बाहर भी जाना हो तो कभी दरवाजा खुला छोड्ना चाहिये क्यों कि माँ व्दार खुला देख कर उसी घर में प्रवेश करती है।पर वास्तविकता कुछ और ही है। ऐसे ही समय में चोरों को पूरा मौका मिलता है।
विन्नी
aap ko Diwali ki shubhakamnaye.
vinnie
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