सुश्री शांति पुरोहित की कहानी " भक्त,भक्ति और भगवान "
'बधाई हो, दया बहन ,आज आपके घर मे लक्ष्मी आई है |, वीणा बहन ने खुश होकर दया बहन को बधाई दी | 'सच मे बहुत ख़ुशी की बात है कि आज हमारे घर लक्ष्मी का आगमन हुआ है,मै बहुत ख़ुशी मेहसूस कर रही हूँ |' 'ना, जाने लोग बेटी के जन्म जाने पर क्यों नहीं खुश होते,इसके विपरीत बेटे के जन्म पर बहुत ख़ुशिया मनाते है ?' दया ने चिंता करते हए कहा | 'ऐसा भाव रखना उनकी ओछी मानसिकता को ही दर्शाता है |' वीणा बहन ने कहा |
दोनों सहेलिया बाते कर रही थी,तभी अंदर से दया बहन की छोटी बहु प्रिया जल-पान लेकर कमरे मे उपस्थित हुई | ''नमस्ते आंटी, बहु ने वीणा बहन को नमस्ते किया,जल-पान रख कर बाहर चली गयी |चाय पीते हुए दया बहन ने कहा 'अगले महीने बच्ची का नामकरण संस्कार है,मैंने बहुत बडा आयोजन रखवाया है| तुम पूरे परिवार को लेकर जरुर आना |' वीणा बहन अपने घर चली गयी |
इतना बड़ा आयोजन, और अपनी बेटी ,का इतना सम्मान देख कर बहु के मम्मी-पापा बहुत खुश हुए | ख़ुशी से उनकी आँखे भर आयी थी |
समय बीतता रहा,आज राधिका तीन साल की हो गयी थी | वो जब दो साल की थी,तभी से अपनी दादी दया बहन के साथ पूजा-घर मे बालकृष्ण की पूजा के लिए बैठने लगी थी,और छोटी-छोटी बाल चेष्टा करने लगी थी | दया बहन को बहुत आश्चर्य हुआ, जब राधिका उनके आने से पहले पूजा की सभी तैयारी कर देती थी | इतनी कम उम्र मे राधिका की भगवान के प्रति आस्था और सेवा-भावना देख कर दया बहन को बहुत हैरानी हुई |
तीन साल की राधिका अपनी दादी से ज्यादा बालकृष्ण की आराधना मे लग गयी | ये सब देख कर उसके पापा ने दया बहन से कहा ''माँ राधिका को अब स्कूल जाना होगा,अगले माह स्कूल खुलने वाला है | ये कैसे पढेगी,इसका सारा टाइम और सारा ध्यान तो पूजा घर मे ही लगा रहता है |'
पापा की ये चिंता, उस वक्त ख़ुशी मे बदल गयी जब राधिका ने पहले ही साल मे क्लास मे सबसे ज्यादा मार्क्स ला कर प्रथम स्थान पर अपना कब्ज़ा किया | ख़ुशी उस वक्त दुगुनी हो गयी, जब स्कूल से ''हेड -मिस्ट्रेस का फोन आया ''आपकी राधिका ने क्लास मे ही नहीं बल्कि चारो सेक्शन मे प्रथम स्थान पाया है,बहुत बधाई , राधिका का भविष्य उज्वल हो | हमे राधिका पर गर्व है |
राधिका को अब बालकृष्ण की आराधना करने से कोई नहीं रोकता | सुबह चार उठ कर नित्य क्रिया-क्रम से निवृत होकर, अपने आराध्य के चरणों अपने आप को स्कूल जाने पहले समर्पित कर देती थी | स्कूल से वापस आकर,अपना होम वर्क पूरा करना,माँ को शाम का खाना बनाने मे उनकी मदद करना,फिर सेवा मे लग जाना बस यही रूटीन बन गया था |
समय कब पंख लगा कर उड़ जाता है पता ही नहीं चलता | राधिका ने स्कूल टॉप किया,कॉलेज की पढाई पूरी करी | राधिका के मन मे प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना मन मे सालो से पनप रहा था | इसके लिए तैयारी करने के लिए राधिका को दिल्ली जाना पढ़ा |
आखिरकार आज राधिका ''प्रशासनिक अधकारी''बन गयी |आज घर मे उत्सव का सा माहौल है | दया बहन आज बहुत खुश है,सारी कॉलोनी,को भोजन का निमंत्रण दिया है | सभी गण-मान्य लोगो ने राधिका को आशीर्वाद के साथ-साथ उपहार भी दिया |
'दया ने अपने बेटे रविकिशन को,राधिका की शादी के लिए रिश्ते देखने की सलाह दी | कितने रिश्ते देखे पर किसी ने हां नहीं कहा | सब ने एक ही आशंका व्यक्त की, कि आपकी बेटी कृष्ण आराधना मे लीन रहती है | उसमे वैराग्य, की भावना कब उत्पन्न हो जाये इसका कोई ठिकाना नहीं है हमे अपने बेटे की शादी करके हमारे वंश को आगे बढ़ाना है | ना की राधिका से शादी कराके चिंता मोल लेनी है |
घर वालो के सामने बहुत बड़ी समस्या कड़ी हो गयी,पर राधिका उनको कहती कि आपलोग मेरी शादी की बिलकुल भी चिंता ना करे | बालकृष्ण को सब पता है कब क्या करना है | एक साल की ट्रेनिंग भी पूरी हो गयी |
''कल राधिका को देखने लडके वाले आ रहे है| सब तैयारी आज ही कर लेना |' उसके पापा ने कहा | आखिकार राधिका की शादी तय हो गयी | अगले माह धूम-धाम से शादी हो गयी | ससुराल मे खूब स्वागत हुआ| सास-ससुर ने बेटे-बहु को चार दिन बाद ही शिमला दस दिन घुमने के लिए भेजा |शादी को तीन महीने ही हुए थे,कि सास को पोता चाहिए की डिमांड शुरु हो गयी | अभी तक राधिका की पोस्टिंग होनी बाकी थी,पति से दबाव डलवाया जाने लगा | राधिका एक साल के बाद बच्चा चाहती थी | अब घर मे सब उससे कटे-कटे से रहने लगे,तो वो अपने माँ-पापा के घर रहने आगयी |
दो महीने गुजर गये इसी दौरान राधिका की पोस्टिंग भी हो गयी | एक दिन राधिका की सास और पति उसके माँ-पापा के घर उसे वापस लेजाने के लिए आगये | माँ के समजने पर वो उनके साथ ससुराल आगयी | एक साल बाद राधिका के बेटा पैदा हुआ | घर मे जश्न का माहोल था | सास राधिका के पास आयी और उससे कहा ''बहु हमे माफ़ कर देना, हम भी तुम्हारी बालकृष्ण के प्ररि इतनी सेवा भावना देख कर चिंतित थे | तुम्हारे साथ किये ओछे व्यवहार के लिए माफ़ करना |' ''आप नाहक ही चिंतित हुए,मेरे बालकृष्ण मेरे साथ कोई अनहोनी कभी नहीं होने देते है |' राधिका ने सास से कहा |
''क्या तम्हे, कभी अपने बालकृष्ण के दर्शन हुए है ? सास ने कहा | हां कई बार हुए है,कहा राधिका ने | ''कभी हमे भी दर्शन करवा सकती हो ?' कहा सास ने | हां , आप भी करना | जन्माष्टमी आने वाली है,इस दिन दर्शन होते है | आप भी करियेगा | ' राधिका ने कहा |
आज जन्माष्टमी है,राधिका ने ऑफिस की छुटी ली और पुरे दिन से कान्हा के जन्दीन की तैयारी मे जुटी हुई है | सास भी बरोबर साथ दे रही है | बालकृष्ण के लिए नये वस्त्र,नया श्रंगार,नया झुला और भोग-सामग्री सब बन गये | ठीक बारह बजे जन्म के समय राधिका ने सास को कहा माँ ,आओ दर्शन करो | पर सास को कोई दर्शन नहीं हुए,बस बंसी की मधुर धुन सुनाई दे रही थी | राधिका को बाल-रूप के दर्शन हुए | सास ने कहा '' हम धन्य हुए आज तुम्हारे कारण,कान्हा की बंसी की धुन सुनी | कभी दर्शन भी होंगे |सास ने अपनी गलती मानी की हमने तुम्हारी भक्ति को शक की नजर से देखा , हमे माफ़ करना | राधिका ने सास को गले से लगाया और कहा '' आप माता-पिता हमारे लिए पूजनीय हो माफ़ी हमसे नहीं कान्हा जी से मांगो | और दोनों की आँखों मे आंसू थे |
शांति पुरोहित
11 टिप्पणियां:
bahut achchi kahani .
achchi kahani .
wahhh naya vishay , nai bat.. vo bhi bahut achchi..bahut badhiya shanti ji...
आप सब का आभार
aap ki soch mahaan hai.Badhaai itni achi rachanaa ke liye.
Vinnie,
Mem aapka aasirvad hai...hamesha banaye rahkna....regard
nice story shanti ji .thanks to share here .
thanks shalni mem.
thanks shalni mem.
भक्ति में बहुत शक्ति है...बहुत सुन्दर कहानी...
बहुत ही सुन्दर और मनभाती कहानी
एक टिप्पणी भेजें