बीवी ने पूछा मियां से आँखें झपक-झपककर ,
सूरत पे मेरी चाँद नज़र आता है अब भी क्या ?
शौहर ने कहा प्यार से आँखें मसल-मसलकर ,
ऐनक बिना लगाये मुझे दिखता ही है कहाँ .
बीवी ने कहा आपने ये वादा था किया ,
लाओगे तोड़ तारे मेरे लिए यहाँ .
शौहर ने कहा टूट गयी मेरी कमर ही अब ,
कमरे से बाहर जाना भी मुश्किल है जाने जाँ .
बीवी ये बोली टेलीफोन घर में एक लगा लो ,
बच्चों से यहीं बैठके मैं बातें करूंगी .
शौहर ने कहा बातें तेरी मुझको हैं खाती ,
बच्चों के दिमागों को क्यूं करती हो फ़ना .
शौहर ने कहा जाओ अब रोटी दो बना दो ,
फाकाकशी में जान कहीं निकल न जाये .
बीवी ने कहा हाथों में मेरे जान नहीं अब
जाओ मिटाओ भूख अपनी ढाबे में मियां .
शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN]
3 टिप्पणियां:
very well written shalini ji .congr8s
बहुत खूब .खूबसूरत गज़ल है. हर शेर लाजवाब है !
shikha ji v madan ji aabhar
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