बुधवार, 12 जून 2013

क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?




Women Revolutionaries
क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
तुम भूले सीता सावित्री ,क्या याद मुझे रख पाओगे ,
खुद तहीदस्त हो इस जग में तुम मुझको क्या दे पाओगे?

मेरे हाथों में पल बढ़कर इस देह को तुमने धारा है ,
मन में सोचो क्या ये ताक़त ताजिंदगी भी तुम पाओगे ?

संग चलकर बनकर हमसफ़र हर मोड़ पे साथ निभाया है ,
क्या रख गुरूर से दूरी तुम ताज़ीम मुझे दे पाओगे ?

कनीज़ समझ औरत को तुम खिदमत को फ़र्ज़ बताते हो,
उस शबो-रोज़ क़ुरबानी का क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?

फ़ितरत ये औरत की ही है दे देती माफ़ी बार बार ,
क्या उसकी इस इनायत का इकबाल कभी कर पाओगे?

शहकार है नारी खिलक़त की ''शालिनी ''झुककर करे सलाम ,
इजमालन सुनलो इबरत ये कि खाक भी न कर पाओगे.


शब्दार्थ :तहीदस्त-खाली हाथ ,इनायत- कृपा ,ताजिंदगी -आजीवन 
ताज़ीम -दूसरे को बड़ा समझना ,आदर भाव ,सलाम 
कनीज़ -दासी ,इजमालन -संक्षेप में ,इबरत -चेतावनी ,
इकबाल -कबूल करना ,शहकार -सर्वोत्कृष्ट कृति ,
खिलक़त-सृष्टि 
      
                    शालिनी कौशिक 
                                  [कौशल ]

11 टिप्‍पणियां:

Pankaj Dwivedi ने कहा…

इस कविता का भाव बड़ा लाजवाब है पर कुछ शब्द उर्दू होने के कारण समझने में मुझे थोड़ी कठिनाई हुयी. बाकी बहुत अच्छा तथा मार्मिक भी लगा. बहुत बहुत धन्यवाद् आपको तथा आपकी कलम को.
सस्नेह
पंकज द्विवेदी

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Wah!!!!!!!!!!!!!!jitna samjh saka sunder laga.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

आदरणीया शालिनी जी बहुत सुन्दर इबरत आप की ...अच्छी चेतावनी काश ये रोष देख होश आये लोगों को ...
अच्छे शब्द भी सीखने को मिले निम्न का भाव ठीक से अभी नहीं समझ पाया
क्या रख गुरूर से दूरी तुम ताज़ीम मुझे दे पाओगे ?
जय श्री राधे
भ्रमर ५

Unknown ने कहा…

Lajavab prstuti. .Shalini mem bahut umda

Unknown ने कहा…

Lajavab prstuti. .Shalini mem bahut umda

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब प्रस्तुति...

nayee dunia ने कहा…

बहुत सुन्दर ....

Shikha Kaushik ने कहा…

bahut sundar .aabhar

Sadhana Vaid ने कहा…

नारी के महत्त्व और सम्मान को स्थापित करती बहुत खूबसूरत रचना ! बहुत सुंदर !

Emmanuel ने कहा…

To love

without conditions, circumstances or situations

To love

regardless the state or form ...

To love without conditions

No requirements or imposition...

To love

without places or facts

without necessary or essential things...

To love without conditions

To love the ones whithout conditions...

To love without conditions always and anyway

without waiting

without waiting the sufficient conditions to love

and the right opportunity ...

Because too often "there are no conditions!" ...


To love without conditions, unconditionally and entirely

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति....