बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .


  Thai Massage
फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार ,
औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .

करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत  के साथ ,
माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार .


मनसबी रखी रहे बाहर मेरे घर से ,
चौखट पे कदम रखते ही इनकी करो मनुहार .


फैयाज़ी मेरे खून में ,फरहत है फैमिली ,
फरमाइशें पूरी करूँ ,ये फिर भी हैं बेजार .

हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत ,
नादानी करें औरतें ,देती हमें दुत्कार .


माँ का करूँ तो बीवी को बर्दाश्त नहीं है ,
मिलती हैं लानतें अगर बेगम से करूँ प्यार .

बन्दर बना हूँ ''शालिनी ''इन बिल्लियों के बीच ,
फ़रजानगी फंसने में नहीं ,यूँ होता हूँ फरार .




     शालिनी कौशिक
           [WOMAN ABOUT MAN]
 

शब्दार्थ :फरमाबरदार -आज्ञाकारी ,बेजार-नाराज ,मक़बूलियत -कबूल किये जाने का भाव ,मनुहार-खुशामद,मनसबी-औह्देदारी ,फरहत-ख़ुशी ,फैयाजी-उदारता मकसूम -बंटा हुआ .फर्ज़ंगी -बुद्धिमानी .

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार ,
औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .
सच कहा आपने कविता के लिए आभार