पुरुष मात्र पुरुष नहीं होता .एक नारी की दृष्टि से वह पिता है ,भाई है ,पति है ,पुत्र है ,जीजा ,बहनोई ,देवर,जेठ,सहयोगी,सहकर्मी और न जाने कितनी भूमिकाओं में नारी जीवन को प्रभावित करता है पुरुष .इसकी पड़ताल करेगा यह ब्लॉग .नारी की दृष्टि में पुरुष .अगर आप भी इससे जुड़ना चाहती हैं तो मुझे मेल करें -kaushik_shalini@hotmail.com
बुधवार, 18 जून 2014
कल्पना हर पुरुष मन की .
अधिकार सार्वभौमिक सत्ता सर्वत्र प्रभुत्व सदा विजय सबके द्वारा अनुमोदन मेरी अधीनता सब हो मात्र मेरा कर्तव्य गुलामी दायित्व ही दायित्व झुका शीश हो मात्र तुम्हारा मेरे हर अधीन का बस यही कल्पना हर पुरुष मन की . शालिनी कौशिक
नर हो या नारी प्रभुत्व कायम रखना धौंस ज़माना कुछ की फितरत में शुमार हो जाता है बहर सूरत दुनिया अपनी ढाल (अपनी तरह से )ही चलती है लकह करे किन कोय। बढ़िया पोस्ट शालिनी जी ,आभार आपके आदर -नेहा का ,फलो - फूलो -विकसो -खिलो फूल बनके फैलो खुशबू बनके।
3 टिप्पणियां:
purush man kee achchhi thah lee hai aapne .aabhar
purush man kee achchhi thah lee hai aapne .aabhar
नर हो या नारी प्रभुत्व कायम रखना धौंस ज़माना कुछ की फितरत में शुमार हो जाता है बहर सूरत दुनिया अपनी ढाल (अपनी तरह से )ही चलती है लकह करे किन कोय। बढ़िया पोस्ट शालिनी जी ,आभार आपके आदर -नेहा का ,फलो - फूलो -विकसो -खिलो फूल बनके फैलो खुशबू बनके।
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