हुह आज थोड़ा भटकी हुई सी हू
असमंजस में हू कि क्या लिखूँ ??
एक दिन ब्लॉग्स पढ़ते-२ मेरी आँखों के सामने
वुमन अबाउट मैन टाइटल नाम का ब्लॉग आ गया था
इसकी दो लाइन्स ही मेरे दिल पर गहरा असर कर गयी थी
पुरुष मात्र पुरुष नहीं होता .एक नारी की दृष्टि से वह पिता है ,भाई है ,पति है ,पुत्र है ,जीजा ,बहनोई ,देवर,जेठ,सहयोगी,सहकर्मी और न जाने कितनी भूमिकाओं में नारी जीवन को प्रभावित करता है पुरुष
शालिनी मैम की लिखी यह दो लाइन्स ही कितना कुछ कह जाती हैं
उस दिन मुझे वो पुराने दिन याद आ गए जब
मैसेजेस में सवाल पूछे जाते थे दोस्ती क्या हैं ,प्यार क्या हैं ??etc
उन्हीं दिनों किसी ने और दो सवाल पूछे थे
पहला- लड़कियाँ क्या हैं ??
उम्र बहूत कम होने की वजह से जवाब भी बच्चों जैसा ही सूझ रहा था कि
मैंने कह दिया -it`s eighth wonder of the world......
दूसरा-पुरुष क्या हैं ??
हम्म बहूत मुश्किल सवाल हैं ना
कहाँ आसान हैं इंसानों को परिभाषाओं में बाँधना ??
थोड़ा सोच विचार करके फिर एक दृष्टि अपने परिवार
पर डालने के बाद मैंने जवाब दिया कि -
when i look at my father n brother then
मुझे लगता हैं कि पुरुष दूसरों की मदद करने वाले ,
अपनों की फ़िक्र करने वाले व उस खुदा के बनाये सबसे अच्छे इंसान होते हैं :-)
गुस्सा व नाराजगी लाज़मी हैं पर हर किसी बात के लिए
केवल पुरुष को जिम्मेदार ठहरना भी तो ठीक नहीं हैं
हमें बगावत करनी हैं तो पुरुषों के प्रति क्यों ??
बगावत गलत धारणाओं व गलत चीज़ों के प्रति होनी चाहिए ना :-)
हम जिस पुरुष को पिता के रूप में दुनिया का सबसे कठोर इंसान समझते हैं
क्या पता वो अकेले में अपनी आँखों के कितने सैलाब बहाता होगा
वो खुलकर हमें पुचकार नहीं पाते हैं ,माँ की तरह लाड़ नहीं लुटाते हैं
तो क्या वो इंसान हमसे प्यार करता ही नहीं :(
एक भाई लड़ लेता हैं तो क्या हुआ
हमें आग़े बढ़ने की ज़िद्द भी तो वो ही सिखाता हैं
एक पति हमेशा पत्नी को पीछे रहने की नसीहत देता हैं तो क्या हुआ
बराबर का हक़ व अधिकार भी वो ही तो देता हैं
एक प्रेमी……………हेहेहे यही भी नहीं कह सकती कि
सबसे कमजोर होता हो या कुछ नहीं सिखाता हो
आपको जीने का अंदाज सिखाता हैं, दर्द को महसूस करना सिखाता हैं
अरे वो सब सीखा देता हैं जो जिंदगी के बीस सालों में आपके पेरेंट्स तक नहीं सीखा पाते हैं:-)
हम्म टॉपिक से थोड़े सटक गए उफ्फ...................
अब मुझसे कोई यह कहता हैं कि तुम एक लड़की हो
तब मैं थोड़ा गंभीर होकर केवल इतना ही कहती हू कि मैं एक इंसान हू:-)
छोड़िए भी जरा लड़की व लड़का की सोच से थोड़ा ऊपर उठकर
इंसानो की दुनिया के बारे में भी विचार कर लीजिए जी :!!!!!!!
पुरुष का प्यार औरत के जज्बातों से थोड़ा अलग होता हैं पर कम नहीं :-)
सही हैं पुरुष को मात्र पुरुष रूप में ही मत देखिए
वो भी हर रूप में एक बेहद अच्छा इंसान हैं :-)
असमंजस में हू कि क्या लिखूँ ??
एक दिन ब्लॉग्स पढ़ते-२ मेरी आँखों के सामने
वुमन अबाउट मैन टाइटल नाम का ब्लॉग आ गया था
इसकी दो लाइन्स ही मेरे दिल पर गहरा असर कर गयी थी
पुरुष मात्र पुरुष नहीं होता .एक नारी की दृष्टि से वह पिता है ,भाई है ,पति है ,पुत्र है ,जीजा ,बहनोई ,देवर,जेठ,सहयोगी,सहकर्मी और न जाने कितनी भूमिकाओं में नारी जीवन को प्रभावित करता है पुरुष
शालिनी मैम की लिखी यह दो लाइन्स ही कितना कुछ कह जाती हैं
उस दिन मुझे वो पुराने दिन याद आ गए जब
मैसेजेस में सवाल पूछे जाते थे दोस्ती क्या हैं ,प्यार क्या हैं ??etc
उन्हीं दिनों किसी ने और दो सवाल पूछे थे
पहला- लड़कियाँ क्या हैं ??
उम्र बहूत कम होने की वजह से जवाब भी बच्चों जैसा ही सूझ रहा था कि
मैंने कह दिया -it`s eighth wonder of the world......
दूसरा-पुरुष क्या हैं ??
हम्म बहूत मुश्किल सवाल हैं ना
कहाँ आसान हैं इंसानों को परिभाषाओं में बाँधना ??
थोड़ा सोच विचार करके फिर एक दृष्टि अपने परिवार
पर डालने के बाद मैंने जवाब दिया कि -
when i look at my father n brother then
मुझे लगता हैं कि पुरुष दूसरों की मदद करने वाले ,
अपनों की फ़िक्र करने वाले व उस खुदा के बनाये सबसे अच्छे इंसान होते हैं :-)
गुस्सा व नाराजगी लाज़मी हैं पर हर किसी बात के लिए
केवल पुरुष को जिम्मेदार ठहरना भी तो ठीक नहीं हैं
हमें बगावत करनी हैं तो पुरुषों के प्रति क्यों ??
बगावत गलत धारणाओं व गलत चीज़ों के प्रति होनी चाहिए ना :-)
हम जिस पुरुष को पिता के रूप में दुनिया का सबसे कठोर इंसान समझते हैं
क्या पता वो अकेले में अपनी आँखों के कितने सैलाब बहाता होगा
वो खुलकर हमें पुचकार नहीं पाते हैं ,माँ की तरह लाड़ नहीं लुटाते हैं
तो क्या वो इंसान हमसे प्यार करता ही नहीं :(
एक भाई लड़ लेता हैं तो क्या हुआ
हमें आग़े बढ़ने की ज़िद्द भी तो वो ही सिखाता हैं
एक पति हमेशा पत्नी को पीछे रहने की नसीहत देता हैं तो क्या हुआ
बराबर का हक़ व अधिकार भी वो ही तो देता हैं
एक प्रेमी……………हेहेहे यही भी नहीं कह सकती कि
सबसे कमजोर होता हो या कुछ नहीं सिखाता हो
आपको जीने का अंदाज सिखाता हैं, दर्द को महसूस करना सिखाता हैं
अरे वो सब सीखा देता हैं जो जिंदगी के बीस सालों में आपके पेरेंट्स तक नहीं सीखा पाते हैं:-)
हम्म टॉपिक से थोड़े सटक गए उफ्फ...................
अब मुझसे कोई यह कहता हैं कि तुम एक लड़की हो
तब मैं थोड़ा गंभीर होकर केवल इतना ही कहती हू कि मैं एक इंसान हू:-)
छोड़िए भी जरा लड़की व लड़का की सोच से थोड़ा ऊपर उठकर
इंसानो की दुनिया के बारे में भी विचार कर लीजिए जी :!!!!!!!
पुरुष का प्यार औरत के जज्बातों से थोड़ा अलग होता हैं पर कम नहीं :-)
सही हैं पुरुष को मात्र पुरुष रूप में ही मत देखिए
वो भी हर रूप में एक बेहद अच्छा इंसान हैं :-)
4 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अपना अपना नज़रिया - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
very nice thinking sarika ji .thanks to give place me here .
बहुत सही कहा आपने !पुरुष सिर्फ़ कठोर ही नही होते ! उनको भी नारी जैसी ही भावनाए होती है !फ़र्क सिर्फ़ इतना है की पुरुष अपनी भावनाए व्यक्त नही कर पाते 1
सब सब तरीके
के होते हैं
ऐसे भी होते हैं
वैसे भी होते हैं
बहुत अच्छी एक
बात होती है जब
अच्छे अच्छे से होते है :)
बढ़िया है ।
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