पुरुष मात्र पुरुष नहीं होता .एक नारी की दृष्टि से वह पिता है ,भाई है ,पति है ,पुत्र है ,जीजा ,बहनोई ,देवर,जेठ,सहयोगी,सहकर्मी और न जाने कितनी भूमिकाओं में नारी जीवन को प्रभावित करता है पुरुष .इसकी पड़ताल करेगा यह ब्लॉग .नारी की दृष्टि में पुरुष .अगर आप भी इससे जुड़ना चाहती हैं तो मुझे मेल करें -kaushik_shalini@hotmail.com
रविवार, 19 मई 2013
बस यही कल्पना हर पुरुष मन की .
अधिकार सार्वभौमिक सत्ता सर्वत्र प्रभुत्व सदा विजय सबके द्वारा अनुमोदन मेरी अधीनता सब हो मात्र मेरा कर्तव्य गुलामी दायित्व ही दायित्व झुका शीश हो मात्र तुम्हारा मेरे हर अधीन का बस यही कल्पना हर पुरुष मन की . शालिनी कौशिक
11 टिप्पणियां:
very true .
धार दार ...
कुछ शब्दों की गहरी चोट ..
aabhar shikha ji aur digambar naswa ji .
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २ १ / ५ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
थोड़े से शब्द ...
लेकिन गहरी बात....!
सटीक ।
jordar aur dhardar
jordar aur dhardar
बिल्कुल सही कहा....
sundar , accha laga aapka yah blog
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