बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

जैसा राजा वैसी प्रजा -अब तनाव कहाँ


     नया ज़माना आ गया है आज हम वी आई पी दौर में हैं ,पहले हमारे प्रधानमंत्री महोदय साल में बच्चों से मिलने का एक दिन रखते थे और आज प्रधानमंत्री हर वक़्त देश के बच्चों को उपलब्ध हैं और वह भी उन विषयों और समस्याओं के लिए जिसे समझाने व् सुलझाने का काम बच्चों का स्वयं का ,उनके शिक्षक का और उनके माता पिता का ही है ऐसा लगता है कि देश की समस्याएं अब ऊँचे स्तर से ख़त्म हो चली हैं और अब समस्याओं का स्तर नीचे आ गया है ,अब दौर आ गया है बच्चों को उनके पैरों पर खड़े कर काबिल बनाने का और यह जिम्मा समस्याओं की कमी में प्रधानमंत्री महोदय ने लिया है तभी तो एक छात्र प्रधानमंत्री जी से सवाल पूछ सकता है कि ''मोदी सर ,क्या आपको भी परीक्षा का तनाव हुआ था ?''
           विचारणीय स्थिति है कि वह समस्या जो बच्चे स्वयं साल भर पढाई कर सुलझा सकते हैं ,वह समस्या जो बच्चों के शिक्षक उन्हें पढ़ाकर और उनसे वार्तालाप कर मिनटों में हल कर सकते हैं और वह समस्या जो बच्चों के माँ-बाप उनके कैरियर को अपनी प्रतिष्ठा का विषय न बनाकर सैकिंडों में संभाल सकते हैं उसके लिए प्रधानमंत्री तक क्यों पहुंचा जा रहा है इसके जिम्मेदार सबसे पहले हमारे बच्चे हैं ,दूसरे नंबर पर शिक्षक और तीसरे नंबर पर हमारे माता पिता हैं क्योंकि आज के बच्चे पढाई को लेकर उतने गंभीर नहीं हैं जितना उन्हें होना चाहिए ,आज वे फेसबुक पर चैट और व्हाट्सप्प पर ग्रुप बनाने में ही ज्यादा मशगूल रहते हैं और परीक्षा के लिए केवल तभी सोचते हैं जब परीक्षा सर पर आ जाती है ,दूसरे रहे हमारे शिक्षक जिनके लिए पढ़ाना केवल एक व्यवसाय बनकर रह गया है ,शिक्षा के क्षेत्र में आज चंद नाम ही होंगे जो सेवा की सोचकर आते हों अधिकांश यहाँ केवल आकर्षक वेतन देखकर ही अपना कैरियर बनाते हैं और रहे हमारे माता-पिता जो खुद हासिल नहीं कर पाए वह अपने बच्चों से हासिल करने की तमन्ना और जो हासिल कर चुके उन्हें केवल अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने की तमन्ना उनके बच्चों की इच्छा को कोई स्थान  लेने ही नहीं देती और उनकी इच्छाओं को पूरा करने की चक्की में ही उन बच्चों को पीसकर रख देती है ,
     और अब रहे हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ,जिन्हें सोशल मीडिया पर छाने की इतनी खुमारी है कि उन्होंने लोगो की निजी ज़िंदगी में भी घुसना शुरू कर दिया है और ऐसा दिखा दिया है जैसे देश में और कोई समस्या अब रह ही नहीं गयी है ,हमें नहीं लगता कि इतनी छोटी छोटी बातों को लेकर प्रधानमंत्री को आम जनता से जुड़ना चाहिए ,आज देश में सी आर पी ऍफ़ कैम्प पर लश्कर के हमले हो रहे हैं हमारे फौजी शहीद हो रहे हैं ,रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं शिपयार्ड विस्फोट हो रहे हैं ,अधिवक्ता वर्ग निरन्तर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सामने आ रहे हैं ,क्यों किसी मन की बात में माननीय प्रधानमंत्री ''पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच ''को लेकर भाजपा की नीति पर बात नहीं करते ? क्यों माननीय प्रधानमंत्री बरसों से भाजपा से राम मंदिर की आस लगाए बैठी जनता के सामने अपने मन की बात नहीं खोलते ?प्रधानमंत्री तीन तलाक का कहर ढो रही मुसलमान महिलाओं के उद्धार की कोशिश तो करते हैं पर क्यों प्रधानमंत्री अपने मन की बात में बरसों से बिना तलाक का कहर ढो रही ,सारी ज़िंदगी उनकी बाट जोह रही त्यक्ता के रूप में जीवन बिताने वाली जसोदा बेन के उद्धार की बात नहीं करते ?
     हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बच्चों से मिलने का केवल एक दिन रखते थे उसके अलावा उन्हें वे वैसे मिल जाएँ तो भी उनके प्रति अपने वात्सल्य के लिए वे कुछ समय निकल लेते थे किन्तु जितना समय हमारे इन सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि का चाह रखने वाले मोदी जी के पास है उतना समय उनके पास नहीं था क्योंकि उन्हें गुलामी के दंश से निकले अपने देश का नवनिर्माण करना था ,देश को विपरीत स्थितियों से जूझने के लिए तैयार करना था ,आज क्या है आज देश खड़ा हो चुका है अपने दम पर दुश्मनों को सबक सिखा सकता है ,नेहरू जी को आवश्यकता नहीं थी अपने को स्थापित करने के लिए दूसरों का नाम गिराने की जो आज के प्रधानमंत्री महोदय का पहला काम है ,वे अपने कामों से जनता के ह्रदय में स्थान रखते थे और उनके समय में विद्यार्थियों को जो शिक्षा मिलती थी वह ही उनके परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए पर्याप्त थी उन्हें इस तरह से तनाव दूर करने के लिए दूसरो के मन की थाह लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती थी ,आज सभी को पता है कि अगर प्रधानमंत्री की नज़रों में उठना है तो जहाँ तक उनका प्रचार कर सकते हो करो ,इसीलिए आज पढाई नहीं कराई जाती ,टीवी पर प्रधानमंत्री से संवाद के इंतज़ाम कराये जाते हैं और ये सभी को पता है कि ''जैसा राजा वैसी प्रजा ''तो फिर जब प्रधानमंत्री जी अपने प्रचार को मन की बात कर सकते हैं तब उनकी प्रजा उनसे सवाल पूछ अपने मन की बात से खुद को प्रसिद्द क्यों नहीं कर सकती ? अब तनाव के लिए स्थान ही कहाँ ,जैसे प्रधानमंत्री जी ने अपने मन की बात से दूर कर लिया जनता भी वैसे कर ही लेगी ऐसे में पढाई को मारो गोली ,

शालिनी कौशिक
    [कौशल ]

3 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक। वंदे मातरम।

Meena sharma ने कहा…

इस लेख से मैं पूर्णतः सहमत हूँ।

Shakuntla ने कहा…

एकदम सटीक लेखन