अनमोल पल आज उर्मि अपने अतीत की खट्टी- मीठी यादो मे खोई हुई है,'उमेश ऑफिस चला गया वो बैठ गयी | सोच रही है कि कालेज के कितने सुहावने दिन थे कितनी मस्ती करते थे |
कालेज मे उसके बहुत सारे दोस्त थे, सब दोस्त सैर करने जाया करते थे | उर्मि गाना बहुत अच्छा गाती थी ये उन सब को पता था | कालेज के हर उत्सव मे उर्मि गाती थी | जब भी वो लोग पिकनिक जाते तो सब दोस्त उर्मि से गाना जरुर गवाते थे |
कालेज का कोई भी उत्सव उसके गाने के बगैर समाप्त नहीं होता था | वैसे तो सबको उसका गाना पसंद था पर एक लड़का जिसका नाम तक वो नहीं जानती क्योंकि वो सीनियर स्टूडेंट जो था | उसे उर्मि का गाना- गाना बहुत पसंद था | उर्मि के किसी भी प्रोग्राम को छोड़ता नहीं बस | उर्मि को उसके बारे मे कुछ जानने की इच्छा हुई | उसने वंशिका से उसके बारे पता किया वो उसकी क्लास मे पढ़ती थी |
कालेज में सबने कहना शुरू कर दिया कि उमेश तुम्हे कितने ध्यान से सुनता है हमे तो लगता है ये उमेश जल्दी ही तुम्हे शादी के लिये प्रपोज करेगा | उर्मि उन सब को हलके से डांट देती थी | वैसे तो कभी उमेश ने बात नहीं की पर उस दिन कालेज का वार्षिक उत्सव था,उर्मि गाने की आखिरी बार रिहर्सल कर रही थी कि तभी उमेश वहां आया और कहा''समय मिलते ही मुझसे पास के कॉफ़ी हाउस मे मिलना |, उमेश का इस तरह से अचानक कॉफ़ी हाउस मे बुलाना थोडा अजीब लगा | पर उसने जाने का तय किया \
कॉफ़ी हाउस मे उमेश पहले से ही बैठा था | उर्मि भी बैठ गयी | कुछ देर की चुपी तोड़ते हुए उमेश ने कहा ''उर्मि तुम बहुत अच्छी गायिका हो |'
'' धन्यवाद , मैंने कहा
'' क्या मै तुमसे दोस्ती कर सकता हूँ ?'
'' हाँ, क्यों नहीं ? उसने कहा |
वो थोडा सहज हुआ ''मेरा नाम उर्मि है.....''..जानता हूँ , वो बोला ''इसी कालेज मे हूँ नाम तो सब को पता होगा ही अब उर्मि और उमेश रोज ही मिलने लगे | अब उमेश नोट्स बनाने मे भी उर्मि की मदद कर देता था समय बीतता गया दोस्ती ने जब प्यार का रूप लेना शुरू किया तो उर्मि को लगा ये ठीक नहीं होगा | उमेश और उर्मि की आर्थिक परिस्थिती मे रात दिन का अंतर था वो अमीर बाप का बेटा और उर्मि गरीब बाप की बेटी | शादी अपने से बराबर वाले के साथ ही की जानी चाहिये |
एक दिन उमेश ने आकर कहा ''उर्मि ,मै तुमसे शादी करना चाहता हूँ ,उर्मि कुछ तय नहीं कर पारही थी | उसने फिर कहा ''क्या तुम नहीं चाहती ?''उर्मि ने ना बोला '' उर्मि गरीब बाप की बेटी थी तो उमेश के माँ -पापा शायद उर्मि को पसंद ना करे | '' तुम मुझे पसंद हो,तुम्हारा गाना -गाना मुझे पसंद है |माँ -पापा को मै राजी कर ही लूँगा |उर्मि खुद भी उससे शादी करना चाहती पर कुछ तय नहीं कर पा रही थी |अब उर्मि चुप -चुप सी रहने लगी |एक बार वंशिका ने कहा ''उर्मि तुम्हे आजकल क्या हो गया तेरी सारी मस्ती कहाँ गायब हो गयी ?''
उर्मि ने अपने और उमेश के बारे मे सब कुछ वंशिका को बताया उसने उर्मी से कहा तुम्हारा
मन जो कहता है वो करो और किसी की चिंता मत करो |आज उमेश उर्मि को पूछ रहा था कि उर्मि क्या सोचा तुमने तो उर्मि हंस कर वहां से भाग गयी |अब परीक्षा नजदीक थी उर्मि और उमेश तैयारी मे लग गये थे |
कालेज की छुट्टियों मे उर्मि और उमेश की शादी उमेश की माँ की मर्जी के खिलाफ हो गयी |उमेश की माँ को उर्मि पसंद नहीं थी वो अपने बेटे की शादी किसी अमीर घराने की लड़की से करना चाहती थी तो जाहिर सी बात है उनका उर्मि के साथ अच्छा व्यवहार तो नहीं हो सकता था बात -बात पर उर्मि को उसकी गरीबी का एहसास कराया जाता था, उमेश बहुत अच्छे थे पर माँ को कुछ नहीं कहते,|
एक बार तो सासूजी ने सारी हद पार करते हुए जो ताना दिया उर्मि को की वो चुप सी हो गयी उर्मि को अब गाना तो दूर की बात किसी से बात करना भी अच्छा नहीं लगता था | उमेश ने कई बार पूछा भी ''उर्मि तुमने गाना क्यों छोड़ दिया,कितनी अच्छी गायिका थी तुम जब तुम शादी करके आई? उर्मि बस उन्हें देखती रहती थी | उसकी माँ के बारे मे बता कर माँ-बेटे मे दुरी पैदा नहीं करना चाहती थी |
एक दिन सासुजी ने उमेश को कहा ''उर्मि को नीचे लेकर आओ,मंदिर चलना है | उर्मि आई और वो सब गाड़ी मे बैठ गये |उर्मि ने कुछ नहीं पूछा कि हम कहाँ जा रहे है किसी ने कहा होगा की मंदिर ले जाने से ठीक होगा | उमेश सारे रास्ते मेरे बारे मे सोचते रहे कि क्या हुआ है उर्मि को गाना तो दूर बोलती भी नहीं किसी से |
अचानक गाड़ी मनोरोग चिकित्सक के अस्पताल के आगे रुकि उर्मि समझ गयी कि उन्होंने उसे पागल समझ के रखा है |दोनों माँ-बेटे बाहर बैठ गये उर्मि डाक्टर के पास चली गयी | करीब दो घंटे बाद बाहर आई,डाक्टर ने उमेश और माँ को कुछ भी बताने से मना किया था | अब माँ-बेटे के समझ नहीं आ रहा था कि डॉ.और उर्मि के बीच क्या बाते हुई होगी |
रास्ते मे एक दुकान आई उर्मि ने कहा''जरा गाड़ी रोको,वो दुकान से एक डायरी खरीद कर लायी और कहा ''डॉ.ने कहा कि जो भी दिमाग मे आए वो इस डायरी मे लिखना | उमेश को अच्छा लगा पर सासुजी बडबडाई '' डायरी लिखने के लिये डॉ . के पास आने का इतना खर्चा किया ? उमेश ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा ''तुम लिखना, रात को उर्मि तीन बजे तक लिखती रही | इस दौरान उमेश दो बार उठा उसे जगी हुई देख कर वापस सो गया | चार बजे उर्मि सो गयी तब उमेश फिर उठा और डायरी पढने लगा |''गरीब के घर मे पैदा होना गुनाह है,ये मैंने तब जाना जब मेरी सासुजी ने मझसे कहा कि ''तुम्हारे माता-पिता के पास पैसा नहीं था ,वे मुझसे गाना गवा कर कमाई करते थे | मेरा गाना उनकी कमाई का जरिया था | उनकी इस बात से मुझे बहुत टीस पहुंची और मैं खामोश हो गयी | मेरी कला का इतना अपमान ये मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसी दिन से मैंने गाना छोड़ दिया | उमेश बहुत अच्छे थे पर माँ को कुछ नहीं कहते तो मझे उन पर गुस्सा आता था |
ये सब पढ़ कर उमेश की आँखों मे आंसू आ गये मे उर्मि को समझ ही नहीं पाया | दुसरे दिन उर्मि दवाई लेने के बाद घर के काम में लग गयी | सारे काम खत्म करके अपने कमरे मे उदास होकर लेट गयी अपनी आज की दशा पर सोचने लगी,तभी उमेश का फोन आया कि'' उर्मि, आज हम दोनों बाहरगाँव घुमने चलेंगे|ये सुनकर उर्मि ख़ुशी से रोने लगी| शाम को उमेश ने'' माँ को कहा ''मै और उर्मि दो माह के लिये घुमने जा रहे है,आप छोटे भाई -भाभी को बुला लेना या उनके पास चली जाना |
मुझे उर्मि को गायिका बना कर ही लाना है | मैंने गाने की वजह से ही इसे चुना था और मेरी वजह से ही इसका गाना बंद हुआ जो अब मुझे इसे वापस देना है उर्मि की आँखों मे आंसू छलकने लगे| क्योंकि ये उसके जीवन के अनमोल पल थे |
शांति पुरोहित
16 टिप्पणियां:
मैडम,बहुत शुक्रिया आपने ब्लॉग मे मेरी कहानी को जगह दी |
सादर
bahut hi badhiya
bahut achchi kahani
bahut hi achchi kahani shanti ji... aapke ek ek vishay bahut achche hote hai ji..
BAHUT ACHCHHI KAHANI .AABHAR
कहानी बहुत अच्छी लगी।
सादर
dil ko chu lene vali abhivykti h .....
बहुत खूब
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 12/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
Ji sar jarur dekhungi
Rshmi prbha ji sarahna ke liye abhar
Neelima ji shukriya sarahna ke liye
Neeta ji abhar uthsah vardhan karne ke liye
Dr.shikha kaushik ji abhar aapka
Abhaar aapka
Anju ji shukriya sarahna k liye
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