शनिवार, 16 नवंबर 2013

सरकारी अफसर

                                                                                                                                                                                                      आज ऑफिस की छुट्टी है| सिरिष ड्राइंग रूम मे कपिल के साथ बैठा है | कपिल की नन्ही -नन्ही शरारते देख रहा है | कुछ देर की मस्ती के बाद कपिल थक कर सो जाता है सिरिष उसे उठाकर पलंग पर सुला देता है | खुद भी तकिये का सहारा लेकर लेट जाता है,अपने गत जीवन के चिंतन मे खो जाता है |
                  रीमा पिछले बीस -पच्चीस दिनों से हॉस्पिटल के आई .सी .यू .वार्ड मे बीमारी से लड़ रही थी | उसकी किडनी मे इन्फेक्सन हुआ था | डॉ के अनुसार ठीक होने के बहुत कम चांस है | किडनी फ़ैल भी हो सकती है | सिरिष अपने पांच माह के दूधमुहे बच्चे को लेकर रात -दिन पत्नी की सेवा मे इसी आशा के साथ लगा है कि वो जल्दी ठीक होकर हमारे बच्चे को संभालेगी |
                  सिरिष का परिवार अमेरिका मे रहता है,सिरिष को अपने देश भारत मे रहना अच्छा  लगता था ,वो अपनी पढाई ख़त्म होते ही भारत आ गया यहाँ आकर रीमा से शादी कर ली | उस दिन सिरिष आई .सी .यु .के बाहर बैठा था होस्पिटल मे शांत वातावरण था सिरिष विचार मग्न| भविष्य मे आने वाली समस्याओ के बारे मे सोच कर परेशान हो रहा है कि कब ठीक होकर रीमा बच्चे को फिर से सम्भालेगी ? ओर  कुछ सोचता, उससे पहले आई.सी.यु.से नर्स दौडती हुई बाहर आई ,डॉ सात नंबर पेशेंट की तबियत बिगड़ गयी,उसे सास लेने मे तखलीफ़ हो रही है |, सिरिष किसी अनिष्ट की आशंका से घबरा गया उसे तो पता ही था सात नंबर पेशेंट रीमा ही है | डॉ ने भाग कर रीमा को चेक किया ,उसकी सास उखड़ रही थी | रीमा के शरीर के सभी पार्ट्स ने लगभग काम करना बंद कर दिया | डॉ के अथक प्रयास के बाद भी रीमा बच नहीं सकी उसके जीवन की डोर टूट गयी |
                    सॉरी सर ,रीमा इज नो मोर , डॉ ने कहा | सिरिष की आँखों मे आंसू आ गये ,कपिल को भी जैसे आभास हो गया उसकी माँ उसे अकेला छोड़ गयी ,वो भी पापा के साथ जोर -जोर से रोने लगा था | कपिल के रोने से सिरिष चुप हुआ | डॉ. ने कहा 'होस्पिटल की ओपचारिकता पूरी करके आप घर जा सकते हो | कुछ भी सोचने -समझने की ताकत नहीं बची थी | अपनी ओर अपने नन्हे बच्चे के जीवन मे आने वाली तमाम परेशानियों को भुला कर,सिरिष रीमा की डेड बॉडी को घर ले जाने के लिए होस्पिटल की ओपचारिकता पूरी करने लगा | रीमा को अंतिम विदाई देने के लिए परिवार आ चुका था |
                   रीमा को अंतिम विदाई देने के बाद सिरिष इतने लोगो के बीच भी खुद को अकेला महसूस कर रहा था | रीमा के जाने के तीसरे ही दिन सिरिश मुन्सिपलटी बोर्ड के ऑफिस मे रीमा का  मृत्यु  -प्रमाण पत्र लेने पहुँच गया | गोद मे कपिल को लिए वो सम्बन्धित अफसर से बोला 'सर मेरी पत्नी का मृत्यु -प्रमाण पत्र बना दीजिये |, पर वो अफसर कुछ नहीं बोला | सिरिष ने कई बार कहा पर वो जान -बूझ कर फ़ाइल् के पन्ने पलटता रहा |कपिल भी रोने लगा तो सिरिश ऑफिस की सीढियों मे बैठ गया | तभी वो अफसर उसके पास गया और बोला प्रमाण पत्र बनवाने के पांच सौ रुपया दे दो, कल आकर मृत्यु प्रमाण -पत्र ले जाना |, सिरिष को बहुत गुस्सा आया मेरी सत्ताईस साल की जवान बीवी मर गयी इसे रुपयों की पड़ी है | अपने गुस्से को काबू करके उसने रुपया दे दिया | उसे समझ आ गया ऑफिस मे सी.सी.टीवी कैमरा लगा था इसलिए वहां पैसा नहीं लिया| रिश्वत लेने के मामले मे सावधान जो है |
                दुसरे दिन सिरिष ऑफिस गया तो सीट पर दूसरा  अफसर  बैठा था | सिरिष ने उनसे मृत्यु -प्रमाण पत्र माँगा, उसने दो मिनिट मे बना कर दे दिया | अरे ! 'ये क्या आपने बिना रिश्वत लिए ही बना दिया ?, सिरिष ने कहा | कल उस अफसर ने पांच सौ रूपया लिया है मुझसे | 'मै कभी किसी से एक पैसा नहीं लेता हूँ | आपका कोई भी काम हो आप आना मै करूँगा आपका काम|, दुसरे अफसर  ने कहा |सिरिष ने उस रिश्वत खोर  अफसर  को सबक सिखाने का मन बना लिया और  उन इमानदार ऑफिसर के साथ मिलकर उस रिश्वत खोर  अफसर को रंगे हाथो पकड़वाया | किसी ने सच ही कहा है कि एक व्यक्ति की गलती के कारण  पूरा विभाग बदनाम हो जाता है
शांति पुरोहित 

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

nice story with right view.

Unknown ने कहा…

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